केन्द्र सरकार द्वारा पेश आम बजट से मध्यम वर्ग में निराशा देखने को मिली। विशेषज्ञ ने इसे गांव, गरीब और किसानों का बजट माना है।
तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश आम बजट 2018-19 के मुख्य बिन्दु...
आयकर स्लैब : मध्यम वर्ग खासकर नौकरी-पेशा वर्ग को इस बार उम्मीद थी कि आयकर सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर तीन या साढ़े तीन लाख की जा सकती है, लेकिन वित्तमंत्री ने उन्हें निराश किया। इस बार स्लैब में कुछ भी बदलाव नहीं किया गया है। मध्यम वर्ग इसलिए भी निराश हुआ कि सरकार ने म्युचुअल फंड पर भी 10 प्रतिशत टैक्स थोप दिया। ऐसा करके सरकार ने उनकी बचत का एक रास्ता और बंद कर दिया।
स्वास्थ्य : स्वास्थ्य क्षेत्र में भी सरकार ने बड़ी घोषणाएं की हैं। इसके तहत 5 लाख नए स्वास्थ्य केन्द्र लोगों के घरों के पास बनाए जाएंगे। आयुष्मान योजना के तहत सरकार 50 करोड़ लोगों के इलाज खर्च उठाएगी। इस योजना में देश के 10 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलेगा।
किसान : बजट में सरकार ने किसानों को खुश करने की पूरी कोशिश की है। वित्तमंत्री ने कहा कि फसल को क्लस्टर मॉडल पर विकसित करेंगे। सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाएगा। ऑपरेशन ग्रीन की स्थापना के साथ ही इसके लिए 500 करोड़ रुपए देने का प्रस्ताव किया गया है। आलू, प्याज, टमाटर के लिए भी ऑपरेशन ग्रीन लागू होगा। सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है साथ ही खेती के कर्ज के लिए 11 लाख करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया। मछली और पशुपालन के लिए 2 नए फंड पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। मंडी व्यवस्था में सुधार के लिए भी 2 हजार करोड़ का प्रस्ताव रखा गया है।
महिलाएं : सरकार ने गरीब महिलाओं का भी खास ध्यान रखा है। उज्ज्वला योजना के तहत सरकार ने 5 करोड़ गरीब महिलों तक मुफ्त गैस कनेक्शन पहुंचाने का लक्ष्य रखा था। इस योजना की लोकप्रियता को देखते हुए इस लक्ष्य को बढ़ाकर 8 करोड़ गरीब महिलाओं को मुफ्त कनेक्शन पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
युवा : वित्तमंत्री ने युवा वर्ग को लुभाने की भी पूरी कोशिश की है। बजट में 70 लाख नई नौकरियों पैदा करने की घोषणा की गई है। ध्यान रखने वाली बात है कि रोजगार के मोर्चे पर सरकार फिलहाल विपक्ष के निशाने पर है। जेटली ने कहा कि सरकार ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा कराना चाहती है। नए कर्मचारियों के ईपीएफ में सरकार की ओर से 12 फीसदी योगदान देने की भी घोषणा की गई है।
शिक्षा : बजट में बच्चों की शिक्षा पर लगभग 96 हजार करोड़ का खर्च किया गया है। जेटली ने बजट में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि तकनीक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने का सबसे बड़ा हथियार सिद्ध होगा। स्कूल-कॉलेजों में ब्लैकबोर्ड से डिजिटल बोर्ड की तरफ बढ़ेंगे। देश में 24 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। सरकार ने 20 लाख बच्चों को स्कूल भेजने का लक्ष्य रखा है। 2022 तक, 50% से अधिक जनसंख्या वाले जनसंख्या और कम से कम 20,000 जनजातीय लोगों के साथ प्रत्येक ब्लॉक में नवोदय विदयालय की तरह 'एकलव्य' स्कूल खोले जाएंगे।
शेयर बाजार : 31 जनवरी के बाद शेयर बाजार में निवेश करने वालों को 10 प्रतिशत टैक्स देना होगा। अब निवेशकों को म्युचल फंड की कमाई पर भी 10 प्रतिशत टैक्स देना होगा। वित्त मंत्री के इस ऐलान के बाद बाजार में गिरावट का रुख देखा गया। सरकार ने यह भी ऐलान किया कि कुल 14 सरकारी कंपनियां शेयर बाजार से जुड़ेंगी और बाजार से 80 हजार करोड़ रुपए जुटाएगी।
रेलवे : जेटली ने भारतीय रेलवे के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय करने की घोषणा की। उन्होंने रेलवे में 18,000 किमी लाइनों के दोहरीकरण के लक्ष्य का प्रस्ताव किया। मंत्री ने बताया कि 36,000 किमी रेल पटरियों के नवीकरण का भी लक्ष्य रखा गया है जबकि अगले दो सालों में ब्राड गेज मार्गो पर 4267 मानव रहित रेलवे क्रासिंग को भी समाप्त किया जाएगा। सभी ट्रेनों में तेजी के साथ वाईफाई और सीसीटीवी नेटवर्क मुहैया कराया जाएगा। इसके साथ ही 25,000 से अधिक यात्रियों की आवाजाही वाले स्टेशनों पर एस्केलेटर की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
गरीब : जेटली ने अपने बजट में गरीबों के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि उज्ज्वला योजना के तहत 8 करोड़ गरीब महिलाओं को मुफ्त कनेक्शन पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। जेटली ने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य 2022 तक हर गरीब को घर देने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि इसके तहत उनकी सरकार ने शहरी क्षेत्रों में 37 लाख मकान बनाने की योजना को मंजूरी दे दी है। उन्होंने 10 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए की मेडिकल सुविधा भी देने की घोषणा की।
उद्योग जगत : बजट में छोटे उद्योगों के लिए 3794 करोड़ रुपए का ऐलान किया। 250 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी को अब कॉर्पोरेट टैक्स में भारी छूट दी गई है। उन्हें अब 30 के स्थान पर 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स ही देना पड़ेगा। पहले यह राहत 50 करोड़ रुपए तक टर्नओवर वाली कंपनियों को ही थी।