सोमवार, 25 सितम्बर 2023
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कुंभ में संन्यासियों के बीच संघर्ष का इतिहास

गुरुवार,जनवरी 31, 2019
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संगम और त्रिवेणी वस्तुत: एक ही स्थान है जहां गंगा, यमुना, सरस्वती का संगम होता है। यह दुर्लभ संगम विश्व प्रसिद्ध है। गंगा, यमुना के बाद भारतीय संस्कृति में सरस्वती को महत्व अधिक मिला है। लेकिन सवाल यह उठता है कि यहां गंगा और यमुना तो स्पष्ट नजर आती ...
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तीर्थ नगरी प्रयागराज में गंगा के उस पार पुरानी बस्ती है जिसे झूंसी कहा जाता है। यह बस्ती समुद्र कूप टीले से लगी हुई है। इस बस्ती में टीलों की कतार दूर तक दिखाई देती है। प्राचीनकाल में पहले यहां प्रतिष्ठानपुर नगर हुआ करता था। इस नगर का नाम मध्यकाल ...
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प्रत्येक तीन वर्षों में कुंभ का आयोजन होता है। इस तरह नासिक, प्रयागराज, हरिद्वार और उज्जैन में तीन तीन वर्षों के चक्र के अनुसार प्रत्येक 12 वर्ष में पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है। लेकिन मान्यता के अनुसार प्रयागराज में प्रत्येक 144 वर्षों में महाकुंभ ...
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हमारे धर्मशास्त्रों के मतानुसार कुंभ 12 कल्पित हैं जिनमें से 4 भारतवर्ष में प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन व नासिक में होते हैं तथा शेष 8 को देवलोक में माना जाता है।
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जैसा कि हमने पूर्व में ही उल्लेख किया है कि अमृत कलश के संरक्षण में सूर्य, चंद्र और देवगुरु बृहस्पति का विशेष योगदान रहा और इन तीनों ग्रहों के उन्हीं विशिष्ट योगों में आने से, जिन योगों में अमृत संरक्षित हुआ था, कुंभ पर्व का योग बनता है।
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कुंभ का इतिहास और उसकी महत्ता के बारे में स्कंद पुराण और वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि पहले कुंभ का आयोजन राजा हर्षवर्द्धन के राज्यकाल (664 ईसा पूर्व) में आरंभ हुआ था।
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कुंभ महापर्व सहस्रों वर्ष पूर्व घटित एक विशिष्ट घटना की स्मृति में आयोजित किए जाने वाले विशिष्ट, आध्यात्मिक उत्थान के अनुष्ठानों का महायोग है।
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प्रयाग- प्र- अर्थात बड़ा एवं याग- अर्थात यज्ञ जहां पर हुआ उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ गया। इस स्थान के अति सुरक्षित होने के कारण ही रावण जैसा बलशाली भी समस्त प्रयाग क्षेत्र के पास फटक भी नहीं पाया। उसने कैलाश पर्वत पर जाने के लिए बहुत घूमकर अंग-उड़ीसा, ...
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शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि ''रेवा तीरे तप: कुर्यात मरणं जाह्नवी तटे।'' अर्थात, तपस्या करना हो तो नर्मदा के तट पर और शरीर त्यागना हो तो गंगा तट पर जाएं। गंगा के तट पर प्रयागराज, हरिद्वार, काशी आदि तीर्थ बसे हुए हैं। उसमें प्रयागराज का बहुत ...
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