आज है जानकी जयंती : सीता नवमी की पूजा कैसे करें, जानिए व्रत का महत्व
Sita Navami Vrat vidhi 2022 वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी को माता सीता का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसे सीता नवमी कहते हैं। माता सीता को धरती माता की पुत्री माना जता है और इनके भाई का नाम मंगल है। राजा जनक ने इनका पालन पोषण किया था। इस बार सीता नवमी का पर्व 10 मई 2022 मंगलवार को मनाया जाएगा।
व्रत : इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर माता सीता और श्रीराम की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस दिन व्रत रखने से तीर्थ यात्रा और दान का फल मिलता है। इस व्रत को विवाहित स्त्रियां अपने पति की आयु के लिए भी करती हैं।
पूजा :
1. इस दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
2. फिर एक लकड़ी के पाट पर पीला वस्त्र बिछाकर माता सीता की श्रीराम सहित मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
3. फिर पंचोपचार पूजा करें अर्थात ध, पुष्प, धूप, दीप एवं नैवेद्य अर्पित करके माता की राजा जनक और सुनयना के साथ पूजा करें। आप चाहें तो षोडशोपचार पूजन भी कर सकते हैं जिसमें 16 तरह की पूजन सामग्री होती है।
गन्धं पुष्पं तथा धूपं दीपं नैवेद्यमेव च ।
अखंडफलमासाद्य कैवल्यं लभते धु्रवम् ।
4. इसके बाद नैवेद्य अर्पित करने के बाद आरती या स्तुति गान करें।
5. आरती या स्तुति गान के बाद सभी को प्रसाद वितरण करें।
6. अब इसके बाद यथाशक्ति दान का संकल्प लें। आप चाहें तो मिट्टी के बर्तन में धान, जल या अन्न भरकर दान कर सकते हैं।
7. इस दिन माता सीता के मंगलमय नाम 'श्री सीतायै नमः' और 'श्रीसीता-रामाय नमः' का उच्चारण करना लाभदायी रहता है।
16 महादान : मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है एवं राम-सीता का विधि-विधान से पूजन करता है, उसे 16 महान दानों का फल, पृथ्वी दान का फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है।