12 नवंबर 2021 को गोपाष्टमी पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन पड़ता है। गौ अष्टमी के दिन गोवर्धन, गाय और बछड़े तथा गोपाल की पूजन का विधान है।
Gopashtami Importance महत्व- शास्त्रों में कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन गायों को भोजन खिलाता है, उनकी सेवा करता है तथा सायं काल में गायों का पंचोपचार विधि से पूजन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। आज के दिन अगर श्यामा गाय को भोजन कराएं तो और भी अच्छा होता है।
गाय को हिन्दू मान्यताओं में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। गाय को गोमाता भी कहा जाता है, गाय को मां का दर्जा दिया गया है। जिस प्रकार एक मां अपनी संतान को हर सुख देना चाहती है, उसी प्रकार गौ माता भी सेवा करने वाले जातकों को अपने कोमल हृदय में स्थान देती हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। ऐसी मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन गौ सेवा करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता।
गाय माता का दूध, घी, दही, छाछ और यहां तक कि उनका मूत्र भी स्वास्थ्यवर्धक होता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हम गौ माता के ऋणी हैं और हमें उनका सम्मान और सेवा करनी चाहिए। पौराणिक कथाओं में यह व्याख्या है कि किस तरह से भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं में गौ माता की सेवा की है।
कैसे करें पूजन, जानिए विधि- Gopashtami Puja Vidhi
गोपाष्टमी पर शुभ व ब्रह्म मुहूर्त में गाय और उसके बछड़े को नहला धुलाकर श्रृंगार किया जाता है।
गाय को सजाने के बाद गौ माता की पूजा और परिक्रमा करें।
परिक्रमा के बाद गाय और उसके बछड़े को घर से बाहर लेकर जाएं और कुछ दूर तक उनके साथ चलें।
ग्वालों को दान करना चाहिए।
शाम को जब गाय घर लौटती हैं, तब फिर उनकी पूजा करें।
गोपाष्टमी पर गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाएं।
जिन के घरों में गाय नहीं हैं वे लोग गौशाला जाकर गाय की पूजा करें। उन्हें गंगा जल, फूल चढ़ाएं, गुड़, हरा चारा खिलाएं और दीया जलाकर आरती उतारें। गौशाला में खाना और अन्य वस्तु आदि दान भी करनी चाहिए।
गोपाष्टमी के दिन जो व्यक्ति गाय के नीचे से निकलता उसको बड़ा पुण्य मिलता है।
शास्त्रों के अनुसार गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है और माता का दर्जा दिया गया है इसलिए गौ पूजन से सभी देवता प्रसन्न होते हैं।
गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौशाला में गो संवर्धन हेतु गौ पूजन का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है। गौशाला में यथाशक्ति दान दक्षिणा,भोजन इत्यादि दें।
गोपाष्टमी पूजन मुहूर्त- Gopashtami Muhurat
इस बार गोपाष्टमी 2021 का शुभ मुहूर्त शुक्रवार 12 नवंबर को सुबह 06:49 बजे से शुरू होगा, जो कि शनिवार, 13 नवंबर को सुबह 05:51 मिनट तक जारी रहेगा रहेगा।
कथा- Gopashtami Katha
गोपाष्टमी पर्व की कथा के अनुसार बाल कृष्ण ने माता यशोदा से इस दिन गाय चराने की जिद की थी। यशोदा मइया ने कृष्ण के पिता नंद बाबा से इसकी अनुमति मांगी थी। नंद महाराज मुहूर्त के लिए एक ब्राह्मण से मिले। ब्राह्मण ने कहा कि गाय चराने की शुरुआत करने के लिए यह दिन अच्छा और शुभ है। इसलिए अष्टमी पर कृष्ण ग्वाला बन गए और उन्हें गोविंदा के नाम से लोग पुकारने लगे।
माता यशोदा ने अपने लल्ला के श्रृंगार किया और जैसे ही पैरों में जूतियां पहनाने लगी तो लल्ला ने मना कर दिया और बोले मैय्या यदि मेरी गौएं जूतियां नहीं पहनती तो मैं कैसे पहन सकता हूं। यदि पहना सकती हो तो उन सभी को भी जूतियां पहना दो… और भगवान जब तक वृंदावन में रहे, भगवान ने कभी पैरों में जूतियां नहीं पहनी। आगे-आगे गाय और उनके पीछे बांसुरी बजाते भगवान उनके पीछे बलराम और श्री कृष्ण के यश का गान करते हुए ग्वाल-गोपाल इस प्रकार से विहार करते हुए भगवान ने उस वन में प्रवेश किया तब से भगवान की गौ-चारण लीला का आरंभ हुआ और वह शुभ तिथि गोपाष्टमी कहलाई।
गौमाता की आरती Om Jai Jai Gou mata Aarti
ॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता
जो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पाता
सुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिले
जो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टले
आयु ओज विकासिनी, जन जन की माई
शत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाई
सुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियो
अखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियो
ममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माता
जग की पालनहारी, कामधेनु माता
संकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाई
गौ शाला की सेवा, संतन मन भाई
गौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियो
गौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियो
श्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावे
पदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावे।