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Last Updated : मंगलवार, 1 मार्च 2022 (18:26 IST)

Falgun amavasya 2022 : फाल्गुन मास अमावस्या, शिवरात्रि के बाद आने वाली यह अमावस है बहुत खास, जानिए महत्व और मुहूर्त

Falgun amavasya 2022 : फाल्गुन मास अमावस्या, शिवरात्रि के बाद आने वाली यह अमावस है बहुत खास, जानिए महत्व और मुहूर्त - Falgun Mas Amavasya 2022
फाल्गुन माह की अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहते हैं। अमावस्या खासकर पितरों की मुक्ति एवं शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्धकर्म करने के लिए होती है। यदि आप जीवन में सुख, शांति, संपत्ति और सौभाग्य चाहते हैं तो इस अमावस्या पर विधिवत व्रत जरूर रखें।
 
 
फाल्गुन अमावस्या का महत्व : पौराणिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन अमावस्या पर पवित्र नदियों में देवी-देवताओं निवास करते हैं। इसीलिए इस दिन नदियों में स्नान का महत्व बढ़ जाता है। खासकर संगम क्षेत्र में स्नान का फल कई गुना हो जाता है। यदि फाल्गुन अमावस्या सोमवार के दिन हो तो, इस दिन महाकुम्भ स्नान का योग भी बनता है, जो अनंत फलदायी होता है। अमावस्या सोम, मंगल, गुरु या शनिवार के दिन हो तो, यह सूर्यग्रहण से भी अधिक फल देने वाली मानी गई है। इस किए जाने वाले सभी तरह के धार्मिक कार्य, अनुष्ठान, तर्पण आदि तुरंत फलदायी होते हैं।
 
 
पूजा के मुहूर्त :
अमावस्या तिथि- आज रात 11 बजकर 4 मिनट तक।
शिव योग- आज सुबह 8 बजकर 21 मिनट तक। इसी दिन सिद्ध और साध्य योग भी रहेगा।
शतभिषा नक्षत्र- आज का पूरा दिन पार कर के देर रात 2 बजकर 37 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त : प्रात: 05:15 से 06:03 तक।
अमृत काल: रात्रि 07:46 से 09:18 तक।
शुभ समय: 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक।

 
फल्गुन अमावस्या पर करें ये 6 कार्य :
1. इस दिन नदी, कुंड, जलाशय या स्वच्छ तालाब आदि में स्नान करें।
 
2. इस दिन नदी या जलाशाय के पास खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
 
3. इस दिन किसी भी पवित्र नदी के तट पर पितरों का तर्पण करें।
 
4. इस दिन व्रत रखकर गरीबों को दान-दक्षिणा दें, जिससे पितरों को शांति और मुक्ति मिले।
 
 
5. इस दिन संध्या के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाएं, पीपल की 7 परिक्रमा करते वक्त अपने पितरों को स्मरण करें। 
 
6. इस दिन रुद्र और अग्नि का पूजन करें। उन्हें उड़द, दही और पूरी आदि का नैवेद्य अर्पण करें।
 
7. इस दिन शिव मंदिर में जाकर पांचामृत से जिसमें गाय का कच्चा दूध मिला हो उससे शिवजी का अभिषेक करें।
 
8. इस दिन शनिदेव की पूजा करें और उन्हें नीले फूल, काले तिल, काले साबुत उड़द, कड़वा तेल, काजल और काला कपड़ा अर्पित करें।