भीष्म एकादशी व्रत कैसे करें, जानें महत्व
Bhishma ekadashi importance and method: प्रतिवर्ष भीष्म एकादशी का व्रत माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष यह व्रत 08 फरवरी 2025, दिन शनिवार को पड़ रहा है। इसे जया एकादशी और अजा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका बहुत महत्व माना जाता है। इस व्रत का पारण 09 फरवरी, सोमवार को किया जाएगा।
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आइए जानते हैं भीष्म तथा जया एकादशी व्रत के बारे में...
महत्व: यह एकादशी भीष्म पितामह को समर्पित है, जिन्होंने अपनी मृत्यु का समय स्वयं चुना था। इस व्रत के संबंध में मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से एक हजार वर्ष तक स्वर्ग में रहने का फल मिलता है। तथा यह व्रत ब्रह्म हत्या जैसे पापों से भी मुक्ति दिलाता है। साथ ही भीष्म एकादशी का व्रत मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है।
विधि:
1. भीष्म एकादशी के एक दिन पहले दशमी तिथि को सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
2. प्रातःकाल एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
3. भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लें।
4. भगवान विष्णु की पूजा करें। उन्हें फूल, फल, धूप, दीप, पंचामृत आदि अर्पित करें।
5. भीष्म एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें।
6. उपवास पर पूरे दिन निराहार रहें। यदि संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं।
7. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
8. द्वादशी के दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें और फिर द्वादशी पारण यानि भोजन ग्रहण करें।
विशेष बातें:
- इस व्रत में चावल और अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।
- व्रतधारी को भगवान विष्णु की पूजा, उनके नाम, मंत्रों का जाप और एकादशी कथा का श्रवण करना चाहिए।
- इस दिन पितरों का तर्पण भी करना चाहिए।
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