भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस या गोवत्स द्वादशी कहते हैं। वर्ष 2020 में मत-मतांतर के कारण यह पर्व 15 या 16 अगस्त 2020 को मनाया जा रहा है। इस दिन पुत्रवती महिलाएं गाय व बछड़ों का पूजन करती हैं।
आइए जानें कैसे करें व्रत-पूजन :-
* सर्वप्रथम व्रतधारी महिलाएं सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर धुले हुए साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
* तत्पश्चात गाय (दूध देने वाली) को उसके बछडे़सहित स्नान कराएं।
* अब दोनों को नया वस्त्र ओढा़एं।
* दोनों को फूलों की माला पहनाएं।
* गाय-बछड़े के माथे पर चंदन का तिलक लगाएं और उनके सींगों को सजाएं।
* अब तांबे के पात्र में अक्षत, तिल, जल, सुगंध तथा फूलों को मिला लें। अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए गौ प्रक्षालन करें।
मंत्र- क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥
* गौमाता के पैरों में लगी मिट्टी से अपने माथे पर तिलक लगाएं।
* गौमाता का पूजन करने के बाद बछ बारस की कथा सुनें।
* दिनभर व्रत रखकर रात्रि में अपने इष्ट तथा गौमाता की आरती करके भोजन ग्रहण करें।
* मोठ, बाजरा पर रुपया रखकर अपनी सास को दें।
* इस दिन बाजरे की ठंडी रोटी खाएं।
* इस दिन गाय के दूध, दही व चावल का सेवन न करें।
* यदि किसी के घर गाय-बछड़े न हो, तो वह दूसरे की गाय-बछड़े का पूजन करें।
* यदि घर के आसपास गाय-बछडा़ न मिले, तो गीली मिट्टी से गाय-बछडे़ की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा करें। उन पर दही, भीगा बाजरा, आटा, घी आदि चढ़ाकर कुमकुम से तिलक करें, तत्पश्चात दूध और चावल चढ़ाएं।
ज्ञात हो कि पुत्र की दीर्घायु के लिए महिलाएं बछ बारस व्रत करती हैं। सारे यज्ञ करने में जो पुण्य है और सारे तीर्थ नहाने का जो फल मिलता है, वह फल गौ माता को चारा डालने से सहज ही प्राप्त हो जाता है।