बुधवार, 4 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. तीज त्योहार
  4. Anant sutra banane ki vidhi

अनंत चतुर्दशी पर इस तरह बाजू में बांधें ये चमत्कारी धागा, खोया हुआ सबकुछ फिर से मिल जाएगा

Anant sutra banane ki vidhi
अनंत चतुर्दशी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में आती है। डोल ग्यारस के बाद अनंत चतुर्दशी और उसके बाद पूर्णिमा। अनंत चतुर्दशी के दिन जहां भगवान अनंत की पूजा की जाती है वहीं इसी दिन गणेश प्रतिमा विसर्जन भी होता है। छह चतुर्थियों का खास महत्व है- भाद्रपद शुक्ल की अनंत चतुर्दशी, कार्तिक कृष्ण की कृष्ण, रूप या नरक चतुर्दशी, कार्तिक शुक्ल की बैकुण्ठ चतुर्दशी, वैशाख शुक्ल माह की विनायक चतुर्दशी, फाल्गुन मास की चतुर्दशी (महाशिवरात्रि) और श्रावण मास की चतुर्दशी (शिवरात्रि) का खासा महत्व है। आओ जानते हैं कि अनंत चतुर्दशी पर बाजू में क्यों बांधते हैं अनंत सूत्र और क्या है इसका महत्व।
 
 
अनंत सूत्र का महत्व :
 
1. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत (विष्णु) की पूजा का विधान होता है। भगवान विष्णु के सेवक भगवान शेषनाग का नाम अनंत है। अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है।
 
2. पांडवों द्वारा जुए में अपना राजपाट हार जाने के बाद श्रीकृष्ण से पूछा था कि दोबारा राजपाट प्राप्त हो और इस कष्ट से छुटकारा मिले इसका उपाय बताएं तो श्रीकृष्‍ण ने उन्हें सपरिवार सहित अनंत चतुर्दशी का व्रत बताया था। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं। अनंत भगवान ने ही वामन अवतार में दो पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया था। इनके ना तो आदि का पता है न अंत का इसलिए भी यह अनंत कहलाते हैं अत: इनके पूजन से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे।
 
इस तरह बांधे अनंत सूत्र :
 
1. इस दिन अनंत सूत्र बांधने का विशेष महत्व होता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के बाद बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है।
 
2. इस दिन कच्चे धागे से बने 14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है। इस धागे को बांधने की विधि और नियम का पुराणों में उल्लेख मिलता है।
 
3. अनंत चतुर्दशी का व्रत और अनंत सूत्र बनाने की विधि बताते हुए भगवान कृष्ण कहते हैं कि भाद्रपद की शुक्ल चतुर्दशी को कच्चे धागे में 14 गांठ लगाकर उसे कच्चे दूध में डूबोकर ॐ अनंताय नम: का मंत्र जपते हुए भगवान‍ विष्णु की विधिवत रूप से पूजा करना चाहिए। 
 
4. इस अनंत सूत्र को पुरुषों को दाएं और महिलाओं को बाएं बाजू में बांधना चाहिए। आजकल बाजार में बने बनाएं अनंत सूत्र मिलते हैं जिनकी विधिवत पूजा करके बांधा जाता है। 
 
5. अनंत सूत्र (शुद्ध रेशम या कपास के सूत के धागे) को हल्दी में भिगोकर 14 गांठ लगाकर तैयार किया जाता है। इसे हाथ या गले में ध्यान करते हुए धारण किया जाता है। हर गांठ में श्री नारायण के विभिन्न नामों से पूजा की जाती है। पहले में अनंत, श्री अनंत भगवान का पहले में अनंत,उसके बाद ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द की पूजा होती है।
 
अनंत सूत्र बांधने के फायदे :
 
1. इसे धारण करने के बाद 14 दिन तक तामसिक भोजन नहीं करते हैं और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं तभी इसका लाभ मिलता है।
 
2. कहते हैं कि कौडिल्य ऋषि ने इस धागे को अपनी पत्नी के बाजू में बंधा देखा तो इसे जादू टोना मानकर उनके बाजू से निकालकर इसे जला दिया था। इसके ऋषि को भारी दु:खों का सामना करना पड़ा था।
 
3. भूल का पता चलने पर उन्होंने भगवान अनंत की 14 वर्षों तक तपस्या कि जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने फिर से उन्हें सुखी और धनपति बना दिया था।
 
4. इस सूत्र को बांधने से व्यक्ति को सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। यदि जीवन में सबकुछ खो चुके हो तो अनंत चतुर्दशी पर भगवान अनंत की विधिवत पूजा करके यह धागा अवश्य बांधें और नियमों का पालन करें तो फिर से सबकुछ प्राप्त हो जाएगा।
 
5. मान्यता है कि धागा बांधने के बाद इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है।