संजा बाई का लाड़ाजी, लूगड़ो लाया जाड़ाजी
असो कई लाया दारिका, लाता गोट किनारी का।
संजा तू थारा घर जा कि थारी मां
मारेगी कि कूटेगी
चांद गयो गुजरात हरणी का बड़ा-बड़ा दांत,
कि छोरा-छोरी डरपेगा भई डरपेगा।
म्हारा अंगना में मेंदी को झाड़,
दो-दो पत्ती चुनती थी
गाय को खिलाती थी, गाय ने दिया दूध,
दूध की बनाई खीर
खीर खिलाई संजा को, संजा ने दिया भाई,
भाई की हुई सगाई, सगाई से आई भाभी,
भाभी को हुई लड़की, लड़की ने मांडी संजा
संजा सहेली बाजार में खेले, बाजार में रमे
वा किसकी बेटी व खाय-खाजा रोटी वा
पेरे माणक मोती,
ठकराणी चाल चाले, मराठी बोली बोले,
संजा हेड़ो, संजा ना माथे बेड़ो।