Last Modified: बीजिंग (भाषा) ,
बुधवार, 13 अगस्त 2008 (14:31 IST)
घर के भेदी साबित हो सकते हैं चीनी कोच
खेलों के महायुद्ध में अमेरिका को पछाड़ने के इरादे से उतरे चीन ने जहाँ तीन दर्जन से अधिक विदेशी गुरुओं की सेवाएँ ली है तो इसके प्रतिद्वंद्वी अमेरिका के पास चीनी कोचों की पूरी जमात है। अब देखना यह है कि खेलों की बादशाहत की इस जंग में सौ टंच खरा कौन उतरता है।
चीन की बास्केटबॉल, हॉकी, नौकायन, तलवारबाजी, केनोइंग और ताइक्वांडो टीमों को 40 से अधिक विदेशी ट्रेनर प्रशिक्षण दे रहे हैं। दूसरी ओर चीन के कई पूर्व खिलाड़ी दूसरी टीमों के खेमे में हैं। इनमें 1984 में वालीबॉल स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीतने वाली चीनी टीम की सदस्य जेनी लांग पिंग शामिल हैं।
अब वह अमेरिकी टीम की कोच हैं। इसी तरह चीन के पूर्व जिम्नास्ट कियाओ लियांग अमेरिका को सोना जीतने के गुर सिखा रहे हैं। जेम्स उर्फ लि लि अब अमेरिका की ट्रैक और फील्ड टीम के मैनेजर हैं। अपने करियर में 'आयरन हैमर' के नाम से मशहूर रही लांग पिंग अमेरिकियों को इस खेल में माँज रही हैं।
वहीं चीन की पूर्व शीर्ष जिम्नास्ट कियाओ के मार्गदर्शन में अमेरिका की 16 वर्षीय जॉनसन ने विश्व ऑलराउंड खिताब जीता था। पूर्व क्रॉसकंट्री धावक लि अमेरिका की एरिजोना यूनिवर्सिटी की एथलेटिक्स टीम के मुख्य कोच हैं। दो स्वर्ण पदक जीत चुकी थाईलैंड की भारोत्तोलन टीम के पास भी झांग बाओशुन के रूप में चीनी कोच हैं।
दूसरी ओर चीन ने अपनी साइकिलिंग टीम के लिए फ्रांसीसी कोच डेनियल मोरेलोन की सेवायें ली हैं। जापान की मसायो इमुरा चीन की लयबद्ध तैराकी टीम को कोचिंग दे रही है। वहीं लिथुआनिया के इगोर गिंको उसकी नौकायन टीम के कोच हैं तो दक्षिण कोरिया के कांग जाए वोन और किम चांग बैक क्रमश: महिला हैंडबॉल और हॉकी टीम के गुरू द्रोण हैं।