फेल्प्स की सफलता का राज विशाल पैर-फेफड़े
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अमेरिका की बुलेट' कहे जाने वाले माइकल फेल्प्स ने अपने लंबे पैरों और फेफड़ों की बदौलत आज यहाँ बीजिंग ओलिम्पिक में तैराकी में आठ स्वर्ण पदक जीतकर स्वर्णिम इतिहास रच दिया। फेल्प्स के नाम अब ओलिम्पिक में सर्वाधिक 14 स्वर्ण और कुल 16 पदक हैं और यह ऐसा रिकॉर्ड है जो निकट भविष्य में टूटता नजर नहीं आता। वह अपनी अद्भुत प्रतिभा और 'डाल्फिन किक' के दम पर सभी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, जिसके कारण वह शोधकर्ताओं की निगाह में आए।आईआईटी कानपुर से पढ़ाई कर चुके जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता रजत मित्तल ने उनकी इसी डाल्फिन किक पर शोध किया, जिसे बर्काफ ब्लास्टोफ भी कहा जाता है क्योंकि 20 साल पहले हारवर्ड के तैराक डेविड बर्काफ ने इसे अपनी तैराकी में इस्तेमाल कर चार ओलिम्पिक पदक जीते थे। पिछले पाँच साल से अमेरिका के इस 23 वर्षीय 'जल पुरुष' पर मित्तल के शोध के मुताबिक फेल्प्स अपने विशाल पैरों की वजह अपने शरीर को अन्य एथलीटों से अलग तरह से इस्तेमाल करते हैं, जो डाल्फिन से काफी मेल खाता है। उनका धड़ हालाँकि लंबा और टाँग छोटी हैं, लेकिन वह अपने 14 इंच लंबे पैरों से करीब 15 डिग्री का कोण बनाते हैं जो अन्य तैराकों से भिन्न हैं क्योंकि इससे वह पानी में बेहतर तरीके से तैर सकते हैं, लेकिन डाल्फिन किक के साथ उनके विशाल पैर और मजबूत फेफड़े तैराकी में उनके लिए वरदान साबित हो रहे हैं। फेल्प्स ने आज चार गुणा 100 मीटर मेडले रिले में रिकॉर्ड समय से हमवतन मार्क स्पिट्ज के म्यूनिख 1972 में तैराकी में एक ओलिम्पिक में सात स्वर्ण पदक के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। अपने तीसरे ओलिम्पिक में शिरकत कर रहे फेल्प्स ने अब कुल पदकों की संख्या 16 कर ली जो खेलों के महासमर का रिकॉर्ड है। एथेंस में छह स्वर्ण और दो कांस्य पदक जीतने वाले फेल्प्स ने बीजिंग में आठ में सात स्पर्धाओं में विश्व रिकार्ड बनाकर स्वर्ण हासिल किए। मेकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर मित्तल अमेरिकन नेवी प्रोजेक्ट के तहत डाल्फिन का शोध कर रहे थे और इसी के दौरान उन्होंने तैराकों पर शोध करने का फैसला किया। इसके बाद ही अमेरिकन तैराकी संस्था के साथ मिलकर मित्तल और उनके साथियों ने 50 अमेरिकी तैराकों का शोध किया, जिसमें फेल्प्स की तैरने की कला काफी अलग थी। उन्होंने इस बारे में कहा फेल्प्स को 90 प्रतिशत फायदा उनके विशाल पैरों से मिलता है क्योंकि किसी तैराक का पैर जितना सपाट और बड़ा होगा, उससे उनका पंजा भी बड़ा होगा जिससे उन्हें मदद मिलेगी। उन्होंने कहा फेल्प्स अपने विशाल पैर से जो कोण बनाते हैं वह उन्हें आसानी से तैरने में सहायक होता है, लेकिन फेल्प्स की तैराकी में उनके मजबूत फेफड़ों भी अहम भूमिका निभाते हैं। शोध के अनुसार उनके फेफड़े पानी के अंदर काफी देर तक साँस रोकने की क्षमता रखते हैं जो पूल में तैराक को आगे बढ़ने के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है।