रूसी गुड़िया लारिसा का कमाल
सोवियत रूस, जिसका कि संक्षिप्तीकरण है अब 'रूस'। उसी 'सोवियत रूस' ने ओलिम्पिक को बेहतरीन और लचकदार जिम्नास्ट दिए थे अपने दौर में, जिन्होंने ओलिम्पिक 'फ्लोर' पर वॉल्ट और बीम पर कमनीय प्रदर्शन करके दोनों हाथों से पदक बटोरे थे।इन्हीं में से एक थीं लारिसा लातिनिना, जिनके जरिए तीन ओलिम्पिक आयोजन में सोवियत संघ को 18 पदकीय सफलता हासिल हुई। विशेष बात यह है कि इनमें से आधे सोने के थे।यूक्रैन (अब एक अलग देश) के खेरसन में 27 दिसंबर 1934 को लारिसा का जन्म हुआ था। योरपीयन एवं विश्व जिम्नास्टिक्स करतबों में लारिसा के नाम का डंका बजता था और वे थीं भी ऐसी ही। क्योंकि इन्हीं अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनों में उन्होंने 15 स्वर्ण, 10 रजत और एक कांस्य पदक भी पाया था।दरअसल उनका जिम्नास्ट जीवन देर से आरंभ हुआ था और अपने इस करियर के दौरान ही उन्होंने दो बच्चों को जन्म भी दिया था। फिर भी लारिसा ने जिम्नास्टिक्स के क्षेत्र में सोवियत पताका फहराने में कोई कोताही नहीं की। उनकी तकनीक बेहतरीन थी, प्रतिभा भरपूर थी और थी एक ऐसी रिद्म जो देखने वालों की आँखों को सुकून पहुंचाती थीं।'
फ्लोर एक्सरसाइज' पर लारिसा बेमिसाल थीं, इतनी बेमिसाल कि मेलबोर्न (1956), रोम (1960) और टोक्यो (1964) तीनों स्थानों पर उन्होंने सोने से कम की तो बात ही नहीं की।मेलबोर्न में लारिसा ने कंबाइंड एक्सरसाइज (टीम व व्यक्तिगत), हार्स वॉल्ट और फ्लोर पर स्वर्ण पदक जीते। असमान बार का प्रदर्शन उन्हें रजत दिला गया तो पोर्टेबल एपरेट्स (टीम) पर उन्हें कांस्य मिला था।रोम 1960 में लारिसा ओवर ऑल खिताब (कंबाइंड एक्सरसाइज व्यक्तिगत) दूसरी बार जीतने वाली पहली महिला जिम्नास्ट बनीं। चेक वीरा कास्लावस्कार ने 1964 (टोक्यो) और 1968 (मैक्सिको) में इसे दोहराया था पर इस करिश्मे पर पहला नाम लारिसा का ही दर्ज था।रोम में लारिसा ने टीम और फ्लोर के भी स्वर्ण जीते जबकि बीम और असमान बार के रजत, हार्स वॉल्ट के कांस्य पर भी उनका नाम दर्ज था। टोक्यो (1964) में कंबाइंड एक्सरसाइज टीम व फ्लोर का स्वर्ण लारिसा ही ले गई।दो रजत व दो कांस्य पदक भी उन्होंने टोक्यो में जीते थे। यूरोपियन चैंपियनशिप (1965) में कास्लावस्का के जरिए ही लारिसा के जिम्नास्ट जीवन का स्वर्णिम दौर समाप्त हुआ। बाद में उन्होंने अपने देश में प्रशिक्षक का दायित्व भी निभाया, ऐसी थीं लारिसा।