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Written By WD

अमेरिकी काली लड़की ने सबको पीछे छोड़ा

London Olympics 2012, London Olympics News Hindi | Olympic Updates in | अमेरिकी काली लड़की ने सबको पीछे छोड़ा
रंगभेद से खेल भी अछूते नहीं रहे हैं, लेकिन खिलाड़ियों ने अक्सर अपने पराक्रम में यह दर्शा दिया कि वे खेल मैदानों पर वर्ण, नस्ल और जाति के बंधनों को नहीं मानते।

ओलिम्पिक के इतिहास में ऐसी एक काली लड़की को याद रखा जाएगा, जिसने अपनी खेल प्रतिभा में बड़े-बड़े खिलाड़ियों को पीछे छोड़ दिया। अमेरिका की 20 वर्षीय विल्मा रुडोल्फ ने यह करिश्मा कर दिखाया रोम ओलिम्पिक में।

जर्मन तानाशाह हिटलर और जैसी ओवंस की कहानी तो सबको पता ही होगी। हिटलर के रंगभेद की नीति के कारण ओलिम्पिक में भी काले-गोरे का भेदभाव रहा।

रोम में हुए ओलिम्पिक के दौरान विल्मा का असाधारण पराक्रम देखने के लिए लोग एकत्र थे। उसने 100 मीटर दौड़ में धरती की सबसे तेज धाविका बनने का गौरव हासिल किया और ओलिम्पिक रिकॉर्ड भी बनाया।

रोम ओलिम्पिक में वह सिर्फ 100 मीटर ही नहीं, 200 मीटर में भी अव्वल रही और 400 मीटर रिले रेस में भी उसने अपनी टीम को स्वर्ण दिलाया। विल्मा की दौड़ की शैली उस दौर में इतनी आकर्षक थी खेल प्रेमी देखते ही रहते थे।

विल्मा को इटली के निवासियों ने 'काला मोती' का नाम दिया था। उस समय अखबार भी उसके पराक्रम की खबरों से रंग गए थे। समाचार पत्रों में उसे 'हिरनी' कहकर संबोधित किया जाता रहा।

बहुत कम ही लोगों को पता था कि 19 भाई-बहनों में 17वें नंबर की विल्मा को चार वर्ष की उम्र में ऐसी बीमारी हो गई थी, जिसके कारण वह 11 वर्ष तक की उम्र तक चल-फिर नहीं सकी। उसकी मां ने विल्मा का अथक मेहनत से इलाज कराया। अपनी इच्छा की बदौलत वह न केवल स्वस्थ हो गई, बल्कि उसने ओलिम्पिक चैम्पियन बनकर भी दिखा दिया।

इसी ओलिम्पिक में एक काले लड़के ने लाइट हैवीवेट का स्वर्ण जीता था। एक दिन दुनिया ने जाना कि उस समय का वह काला लड़का कैसियस क्ले आगे चलकर विश्व चैम्पियन मोहम्मद अली बन गए।