• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. एनआरआई
  4. »
  5. एनआरआई साहित्य
Written By BBC Hindi

प्रवासी साहित्य - शोक-सभा

आमिर वेहाबोविक की शोक-सभा

प्रवासी साहित्य - शोक-सभा -
- शरत कुमार मुखोपाध्या
FILE

अधेड़ व्यक्ति ने
सोचा था
उसकी मौत के बाद शोक-सभा में
कितने लोग आएंगे, देखा जाए न-
चारों ओर इतने प्रशंसक
मित्र, आत्मीय, स्वजन हैं।

अंत में उत्तर बॉसेनिया के
छोटे शहर गैडिस्का में
एक शोक-सभा आयोजित हुई।

एक शोक-सभा आयोजित हुई
वहां लंगड़ाती-लंगड़ाती
केवल एक औरत आई
उसकी बूढ़ी मां।

अमित तो क्रोध से लाल
उसने कहा, इतना खर्च कर
एक जाली सर्टिफिकेट जुगाड़ किया
घूस-घास देकर घुसाया कब्र में
एक खाली कोफिन-
सब बेकार हुआ।

वे तो कहते थे कि वे मुझे प्यार करते हैं
मेरी बात उन्हें हमेशा याद रहेगी।
बूढ़ी मां ने कहा,
यह काम तुम्हें नहीं करना चाहिए था,
वे सब स्वयं को लेकर ही व्यस्त हैं, बेटे।

सारे झूठों के ढक्कन
नहीं हटाना चाहिए, बेटे।

- बांग्ला से हिन्दी अनुवाद गंगानन्द झा