तुम्हारा इंतजार
- शुभ्रा चतुर्वेदी
तुम्हारा इंतजार हैआज से नहीं बरसों सेहर मौसम, हर साल, हर मौके पेगर्मी आई फिर सावन-भादोंसब आके चले गएअपने-अपने नियम अनुसारतुम किस मौसम का इंतजार कर रहे हो?किस नियम को मानते हो?कहां हो?क्यूं हो दूर, जुदा, छुपे-छुपेगुमनाम?क्यूं नहीं है तुम्हाराकोई रूप, कोई रंग, कोई चाल, कोई ढंगक्या तुम एक एहसास हो?या एक सपना?या फिर सिर्फ एक इच्छाजो कि दिल के किसी कोने सेकभी कबाद आवाज देती हैकौन हो तुम?कैसे दिखते हो?गर रास्ते में मिले कभीतो कैसे पहचाने तुम्हें?क्या गुमशुदा होने की रपट लिखाए?मगर कैसे?न कोई नाम, न पता, न तस्वीरकुछ भी तो नहीं है मेरे पासऔर अभी तो तुम्हें पाया ही नहींअपनाया ही नहींतो खोए कैसे?रपट लिखवाएं कैसे?जो अपना हो और जुदा हो जाएउसका शोक मानते हैंमगर तुम्हारा शोक मनाएं कैसे?क्योंकि अभी तो तुम्हें पाना हैअपनाना है?क्योंकि अभी भीतुम्हारा इंतजार है?