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अभिलाषा
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डॉ. राधा गुप्ता तुमने कभी गर मुझे दिया कोई योगदान तुम्हारा चरणोदक का जाएगा मेरे लिए वरदान। तुमने कभी गर भरी मेरे लिए कुछ आहेंकदमों में तुम्हारे बिछ जाएँगी ये निगाहें। तुमने कभी गर चाहा मुझे एक भी पल निछावर हो जाएँगे जीवन के हर एक क्षण।
तुमने कभी गर सराहा मुझे एक बार भी कभीचारण बन जाएँगे मेरे गीत ये सभी। तुमने कभी गर गुनगुनाया भूले से भी कोई गीत ये गीत बन जाएँगे तुम्हारे जीवन का संगीत तुमने कभी गर मुस्कुराया मुझे देख मंद-मंद फूलों से छीन लाऊँगी मैं उनकी मादक सुगंध। साभार- गर्भनाल