मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. एनआरआई
  3. आपकी कलम
  4. Poem on Independence day 15 August

पन्द्रह अगस्त पर कविता : आजादी का पावन पर्व

पन्द्रह अगस्त पर कविता : आजादी का पावन पर्व - Poem on Independence day 15 August
बात आज की नहीं न जाने कितने दशक पुरानी है,
दुश्मन चीन की फितरत में तो भरी हुई बेईमानी है।
 
कहते थे बरसों पहले तुम हैं हिन्दी-चीनी भाई-भाई,
फिर सीमा पर चुपके-चुपके किसने थी आग लगाई।
 
फेंगशुई का बहाना करके क्यों अंधविश्वास फैलाया,
नकली और घटिया चीजों का भारत में जाल बिछाया।
 
लड़ियां, घड़ियां और पटाखे, टीवी व एसी दे गए,
सस्ती चीजें पकड़ाकर के हमसे वो करोड़ों ले गए।
 
न समझ सके तब हम इन पाखंडियों की चाल को,
जब तक सरहद पर वीरों ने न देखा चीनी जाल को। 
 
बेनकाब दुश्मन है उसका असली चेहरा देख लो,
पहचानों और अभी रोक दो शत्रु है बहरा देख लो। 
 
हमें बेचकर चीजें अपनी पैसा जो हमसे पाएगा,
हथियार खरीदेगा उससे व हमको आंख दिखाएगा।
 
सस्ता नहीं लहू हमारे किसी भी सैनिक भाई का, 
विषधर जैसे दुश्मन ने कब साथ दिया सच्चाई का।
 
आदत से मजबूर है जो वो गंदा खेल ही खेलेगा,
एक अगर हो जाएंगे हम कब तक हमको झेलेगा।
 
आजादी का पावन पर्व पन्द्रह अगस्त जब आएगा,
दुश्मन की छाती पर मूंग दलता तिरंगा फहराएगा।
 
वन्दे मातरम् ..! 

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
 
ये भी पढ़ें
भारत देश पर कविता : गुदड़ी का लाल