Last Modified: नई दिल्ली ,
रविवार, 22 मई 2011 (11:07 IST)
डाक विभाग की यूपीसी सेवा समाप्त
देश के ज्यादातर लोगों को शायद यह पता भी नहीं होगा कि लगभग आठ दशक से चली आ रही लोकप्रिय ‘डाक का प्रमाण पत्र’ अंडर पोस्टल सर्टिफिकेट (यूपीसी) सेवा बंद कर दी गयी है और सरकार के पास इसे बंद करने का कोई ठोस कारण भी नहीं है।
आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसारयूपीसी की व्यवस्था 31 जनवरी 2011 को समाप्त कर दी गई थी। इसे बंद करने के प्रस्ताव को सचिव (डाक) के अनुमोदन से सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने मंजूरी दी थी। इसके बाद राजपत्र जारी कर उसे संसद में अधिसूचित किया गया।
सामाजिक कार्यकर्ता अनिल चमड़िया द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी के अनुसार डाक विभाग इस सेवा को बंद करने का कोई ठोस उत्तर नहीं दे सका है। डाक विभाग के पीओ एंड आई अनुभाग के निदेशक नीरज कुमार ने अपने जवाब में बताया कि इस सेवा का उद्देश्य कम शुल्क के साथ प्रेषक के अनुरोध पर संदेशवाहक को सुपुर्द किए गए पत्र के संबंध में डाक का प्रमाण-पत्र देना है।
डाक विभाग ने कहायह अनुभव किया गया कि केवल डाक का प्रमाणपत्र जारी करने से ग्राहक की आवश्यकता पूरी नहीं हो जाती क्योंकि यह वितरण का प्रमाण-पत्र नहीं है। यह अन्य डाक की तरह न तो वितरण सुनिश्चित करता है और न ही डाक वस्तु खोने अथवा विलम्ब की दशा में निगरानी में भी मदद करता है। ध्यानपूवर्क जांच करने पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि इस सेवा की आगे आवश्यकता नहीं है।
चमड़िया ने इस विषय में केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री सचिन पालयट को पत्र लिखा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रामीण क्षेत्र के गरीब लोग बहुतायत में यूपीसी का उपयोग करते रहे हैं। इसके अलावा हाल के दिनों में आरटीआई के तहत जानकारी के लिए भी इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा था।
चमड़िया ने कहा रजिस्टर्ड डाक महंगा होने और निजी कुरियर सेवाओं के प्रभाव में आने के बीच यूपीसी समाप्त किया जाना उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ है। डाक विभाग को यह भी जानकारी नहीं है कि यूपीसी सेवा कब शुरू हुई थी।
इस बारे में पूछे जाने पर डाक विभाग ने कहाइस सेवा का उल्लेख भारतीय डाकघर अधिनियम 1933 के नियम 195 में किया गया है । इससे प्रतीत होता है कि यह सेवा बहुत पुरानी है। इसे हिन्दी में डाक का प्रमाण-पत्र कहते हैं।
आरटीआई के तहत यूपीसी के पिछले तीन वषरे का विवरण और विभाग को इससे होने वाले लाभ या नुकसान का ब्यौरा मांगे जाने पर डाक विभाग ने कहा कि यूपीसी का डाकघरों में अलग से रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है, इसलिए यह जानकारी विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि क्या यूपीसी व्यवस्था बंद करने का विरोध किए जाने के संबंध में कोई ज्ञापन या मेल विभाग को मिला है? डाक विभाग ने कहा पीओ अनुभाग को इस बारे में कोई ज्ञापन या ई-मेल नहीं मिला है। डाक विभाग ने स्पष्ट कहा है कि यूपीसी सेवा दोबारा शुरू करने पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। (भाषा)