Last Modified: नई दिल्ली ,
बुधवार, 24 फ़रवरी 2010 (16:43 IST)
सत्ता पक्ष खुश, विपक्ष नाराज
भाजपा और वाम दलों सहित विपक्ष ने बुधवार को रेल बजट की आलोचना करते हुए इसे हास्यास्पद करार दिया वहीं कांग्रेस और राकांपा ने इसे संतुलित, विकासोन्मुखी और मानवीय पहलुओं तथा आम आदमी की चिंताओं को प्रतिबिंबित करने वाला बताया है।
भाजपा नेता अनंत कुमार ने कहा कि यह रेल यात्रियों और रेल का इस्तेमाल करने वालों के लिए काला दिन है। बजट सिर्फ बंगाल के लिए है और बाकी लोग कंगाल रह गए। रेल मंत्री ने पूरी प्रक्रिया को कॉमिक ऑपेरा बना डाला। उन्होंने कहा कि बजट में नया कुछ भी नहीं है और रेल मंत्री ने जिन परियोजनाओं की घोषणाएँ की हैं, उनके लिए अभी योजना आयोग ने अनुमति नहीं दी है।
भाकपा के गुरदास दासगुप्ता ने रेल बजट की आलोचना करते हुए इसे अति महत्वाकांक्षी रेल बजट करार दिया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में आसन्न विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह बजट तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि रेल मंत्री ने कई नई ट्रेनें शुरू करने का ऐलान किया है लेकिन इसके लिए इतनी धनराशि कहाँ से आएगी।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह रेल बजट किसी राजनीतिक इरादे से तैयार किया गया है। रेल मंत्री ने उन परियोजनाओं का ऐलान कर दिया है जिनको अभी योजना आयोग ने अनुमति नहीं दी है। इसके अलावा उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक क्षेत्र की आधारभूत सुविधाओं को रेलवे के तहत बनाने का जिक्र किया है, जो रेल मंत्री का काम नहीं है।
पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने रेल बजट का स्वागत करते हुए कहा कि यह अच्छा और लोकप्रिय रेल बजट है। इसमें मुंबई पर खास ध्यान दिया गया है। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री विलासराव देशमुख ने भी बजट की सराहना करते हुए कहा कि मुंबई उपनगरीय रेल सेवा वहाँ की जीवन रेखा है और बजट में इस पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे बड़ी संख्या में लोगों को लाभ मिलेगा।
केंद्रीय आईटी एवं संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट ने भी रेल बजट को संतोषजनक बताते हुए कहा कि इसमें समाज के हर वर्ग का ध्यान रखा गया है।
जद यू के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि रेल बजट में उत्तर भारत के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत के लिए कोई बड़ी ट्रेन की घोषणा नहीं की गई है। अधूरी परियोजनाओं के पूरा करने के बारे में भी कुछ नहीं बताया गया है। कई मीटर गेज लाइनों को ब्रॉडगेज में तब्दील करना है जिसके बारे में भी कुछ नहीं कहा गया।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने बजट को विकास एवं मानवीय पहलू पर आधारित करार देते हुए कहा कि इसमें आम आदमी की चिंताओं को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह रेल बजट संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा रेल बजट है, जिसमें वर्तमान जरूरतों और भविष्य की दीर्घकालिक योजनाओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की गई हैं।
उन्होंने कहा कि रेल बजट में यात्री किराए में वृद्धि नहीं किया जाना स्वागत योग्य कदम है। भाजपा के नवजोतसिंह सिद्दू ने रेल बजट की आलोचना करते हुए कहा कि रेलवे प्रॉफिट मेकिंग कंपनी नहीं है। उन्होंने रेल बजट में पंजाब की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 44 साल से पंजाब को एक भी रेल लिंक नहीं मिला है।
उन्होंने शिकायत की कि रेल मंत्री जिस राज्य का होता है, रेलवे में नौकरियों के लिए उन राज्यों के लोगों को प्राथमिकता दी जाती है। रेल बजट रेल मंत्री का ही बजट बन कर रह जाता है। इस बार भी रेल बजट बंगाल का बजट बन कर रह गया।
सपा के महासचिव मोहन सिंह ने रेल बजट को सामान्य बताते हुए कहा कि पहले से ही चल रही परियोजनाओं को नए सिरे से दोहराया गया है। इससे रेलवे का कोई विकास नहीं होगा। (भाषा)