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Written By WD

कश्मीर पर फिलिस्तीनी राय इस्लामी देशों से अलग

-शोभना जैन

फिलिस्तीन
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नई दिल्ली। भारत में फिलिस्तीन के राजदूत अदली शबनम हसन सादिक ने इस्लामी सहयोग संगठन देशों 'ओआईसी द्वारा' कश्मीर के मुद्दे को लगातार अपने मंच से उठाए जाने व उनके भारत विरोधी तथा पाक समर्थक प्रस्तावों से फिलिस्तीन को साफ तौर पर अलग करते हुए कहा है कि फिलिस्तीन का कश्मीर के बारे में रवैया साफ है कि यह मामला कोई अंतरराष्ट्रीय मसला नहीं ‍बल्कि भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है।

साथ ही उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन के भारत के साथ पाकिस्तान की तुलना में अधिक नजदीकी रिश्ते हैं फिलिस्तीन के लिए भारत तथा भारत की जनता के खिलाफ किसी भी प्रकार के कोई भी कदम पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। राजदूत ने इस संवाददाता को दिए एक विशेष इंटरव्यू में एक सवाल के जवाव में कहा कि मुझे लगता है ओआईसी देश धर्म के आधार पर पाकिस्तान के पक्ष में ऐसा प्रस्ताव पारित करते हैं, हम इस आधार से सहमत नही हैं।

उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी गुट निरपेक्ष भावना के अनुरूप इसे दोनों देशों के बीच आपसी बातचीत से हल करने का पक्षधर है। सादिक ने भारत फिलिस्तीन के प्रगाढ़ मैत्रीपूर्ण संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि ये सोचना सही नहीं है कि चूंकि पाकिस्तान मुस्लिम देश है, इसलिए हम उसका समर्थन करेंगे। हम दोनों दोनो देशों का सम्मान करते है, लेकिन निश्चय ही भारत के साथ हमारे रिश्तों का राजनीतिक इतिहास है, उसके साथ हमारे रिश्ते ज़्यादा नज़दीकी के है हालांकि पाकिस्तान भी हमारे लोगों को सैन्य प्रशिक्षण देता रहा है, लेकिन फिलिस्तीन गुट निरपेक्ष आंदोलन का भारत का साथी रहा है और उसी भावना से वह कश्मीर मुद्दे का पक्षधर है।

सादिक ने इस साक्षात्कार में फिलस्तीन मुद्दे, भारत के साथ रिश्ते, अरब जगत के अनेक देशों द्वारा भारत के साथ दोस्ती के रिश्ते भारत जैसी भावना के साथ पूरी तरह से नहीं निभाने, इस्लामी संगठन देशों ओआईसी के कश्मीर को लेकर भारत विरोधी, पाक समर्थक नजरिए तथा कश्मीर मसले पर फिलिस्तीनी रुख सहित अनेक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए।

अरब जगत के देशों से भारत के परंपरागत रिश्ते होने के बावजूद ओआईसी मंच से लगातार कश्मीर मुद्दा उठाए जाने व कश्मीर को लेकर भारत विरोधी और पाक समर्थक प्रस्ताव व टिप्पणियां किए जाने पर भारत के एक बड़े वर्ग द्वारा चिंता व्यक्त किए जाने बाबत पूछे जाने पर सादिक ने फिलिस्तीन को ओआईसी के रवैये से अलग रखते हुए कहा कि मैं ओआईसी के रवैये पर किसी प्रकार की दखलंदाज़ी नहीं करना चाहता हूं, लेकिन इसकी वजह मुझे धर्म ही लगती है, मैं समझ सकता हूं कि ये प्रस्ताव किस तरह से पारित किए जाते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि मेरी राय मे पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बातचीत में ये देश उसे पूरी स्थिति स्थिति बताते भी होंगे, लेकिन यह भी उतना ही सही है कि ये देश पाकिस्तान को खोना नहीं चाहते हैं क्योंकि कौन जाने अरब देशों के बिना पाकिस्तान की स्थिती क्या हो?

गौरतलब है कि लगभग 58 इस्लामी संगठन देशों की सदस्यता वाले ओआईसी समय समय पर कश्मीर मुद्दे को अपने मंच से उठाता रहा है और इसे लेकर विवादास्पद प्रस्ताव और टिप्पणियां करता रहा है, इस वर्ष जून में भी जम्मू कश्मीर के दर्जे के बारे में ओआईसी के विवादित प्रस्ताव पर भारत ने तीव्र आपत्ति जताई थी तथा कहा था कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, भारत इस प्रकार की टिप्पणी को सिरे से खारिज करता है।

साक्षात्कार मे राजदूत ने कहा कि फिलिस्तीन हिंसा और आतंकवाद की सदा ही भर्त्सना करता रहा है। भारत पाक सीमा पर होने वाली हिंसा की भी उसने भर्त्सना की है, वह मानता है कि आतंकवाद न तो किसी देश से जुड़ा होता है, न ही किसी राष्ट्रीयता से, उसकी कोई पहचान ही नहीं है। आतंकवाद हर जगह सिर्फ आतंकवाद ही है यहां तक कि फिलिस्तीन के छोटे छोटे गुट अगर हताशा में इसराइली नागरिकों की हत्या करते हैं तो हम उसकी भर्त्सना करते हैं। हर जगह मारकाट की फिलिस्तीन भर्त्सना करता रहा है।

राजदूत ने भारत पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंध होने की उम्मीद जताते हुए कहा कि पाकिस्तान स्वयं भी आतंकवाद का शिकार रहा है, पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो खुद भी आतंकवाद का शिकार हुईं।