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Written By WD

आतंकी हिंसा ने किया प्रचार की गति को धीमा

-सुरेश एस डुग्गर

आतंकी हिंसा ने किया प्रचार की गति को धीमा -
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प्रथम चरण का मतदान जहां भारत सरकार और चुनाव आयोग के लिए महत्वपूर्ण था वहीं अब दूसरा चरण राजनीतिक दलों व आतंकवादियों के लिए महत्वपूर्ण हो चला है। पहले चरण के मतदान के प्रतिशत में हुई 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी ने कश्मीर में जहां भारत और लोकतंत्र की जीत को दर्शाया है वहीं दूसरे चरण पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं यह देखने के लिए कि जीत किसकी होती है। बैलेट या फिर बुलेट की।

दूसरे चरण के मतदान की खातिर कानून व व्यवस्था बनाए रखने तथा आतंकवादी हमलों से निपटने की खातिर बडगाम व श्रीनगर जिलों में हाई अलर्ट जारी करते हुए सेना को तैयार रहने के लिए कहा गया है।

दोनों जिलों में मतदान 30 अप्रैल को होना है। पहले चरण के मतदान के दौरान कुपवाड़ा और बारामूला जिलों में तैनात अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती अब श्रीनगर व बडगाम के जिलों में की गई है।

कश्मीर घाटी में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से चुनाव करवाने के लिए अर्द्धसैनिक बलों की करीब 1,000 कंपनियों को तैनात किया गया है। चुनाव डयूटी में भाग लेने के अतिरिक्त ये जवान आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी सहयोग कर रहे हैं।

हालांकि दूसरे चरण के मतदान के लिए 3 दिन बचे हुए हैं और इन दोनों जिलों में इन सुरक्षाबलों की तैनाती कुछ दिन पहले ही इसलिए कर दी गई थी ताकि लोगों में विश्वास की भावना बनी रहे।

सुरक्षाबलों के एक अधिकारी ने बताया कि घाटी में चुनावों को शांतिपूर्ण ढंग से करवाने के लिए अभूतपूर्व सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। ‘हम इस समय आतंकवाद प्रभावित इलाकों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। हम आतंकवादियों के नापाक इरादों को विफल बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं,’ अधिकारी का कहना था।