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Last Modified: शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 (17:06 IST)

शारदीय महाष्टमी पर संधि पूजा क्यों की जाती है, जानिए 4 रहस्य

शारदीय महाष्टमी पर संधि पूजा क्यों की जाती है, जानिए 4 रहस्य - Maha ashtami sandhi puja time 2022
Sandhi puja time 2022 : नवरात्रि की अष्टमी को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी कहते हैं जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इस दिन माता के 8वें रूप महागौरी की पूजा और आराधना की जाती है। महा अष्टमी के दिन संधि पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। क्या होती है ये संधि पूजा? कब करते हैं संधि पूजा और क्यों की जाती है संधि पूजा? क्या होगा संधि पूजा करने से? जानिए संक्षिप्त में।
 
महाष्टमी पर क्या है संधि पूजा का समय | Maha ashtami sandhi puja time 2022 : अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर 2022, सोमवार को शाम 04.37 पर समाप्त होगी। इसके बाद संधि पूजा करें।
 
1. क्या है होती है संधि पूजा : दो प्रहर, तिथि, दिन, पक्ष या अयन के मिलन को संधि कहते हैं। जैसे सूर्य अस्त हो जाता है तब दिन और रात के बीच के समय को संध्याकाल कहते हैं। उसी तरह जब एक तिथि समाप्त होकर दूसरी प्रारंभ हो रही होती है तो उसका काल को संधि कहते हैं। इसी काल में पूजा करने को संधि पूजा करते हैं। 
sandhikal ke niyam
2. कब करते हैं संधि पूजा : अष्टमी और नवमी दोनों दिन चलती है। संधि पूजा में अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि काल कहते हैं। इसी दौरान पूजा होत है। महाअष्टमी पर संधि पूजा होती है। 
 
3. क्यों करते हैं संधि पूजा : संधि पूजा करने से अष्टमी और नवमी दोनों ही देवियों की एक साथ पूजा हो जाती है। इस पूजा का खास महत्व माना जाता है। माना जाता है कि इस काल में देवी दुर्गा ने सुर चंड और मुंड का वध किया था। उसके बाद अगले दिन महिषासुर का वध किया था। संधि काल का समय दुर्गा पूजा और हवन के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
 
4. क्या होगा संधि पूजा करने से? : संधि काल का समय दुर्गा पूजा और हवन के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस काल में किया गया हवन और पूजा तुरंत ही फल देने वाला माना गया है। संधि पूजा के समय केला, ककड़ी, कद्दू और अन्य फल सब्जी की बलि दी जाती है। संधि काल में 108 दीपक जलाकर माता की वंदना और आराधना की जाती है।
 
भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली और भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली है अर्थात शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख-समृद्धि व आरोग्यता से पूर्ण करती हैं।
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