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Written By भाषा

एटमी करार पर वामपंथी रुख में नरमी

समाधान की गुंजाइश बरकरार-करात

भाकपा परमाणु समझौता वामपंथी दल
नंदीग्राम के चक्रव्यूह में फँसी माकपा ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर सोमवार को कुछ नरम पड़ने का संकेत देते हुए कहा कि इस मामले में वह और सरकार अड़ियल रवैया नहीं अपनाए हैं। इस मामले में कोई रास्ता निकलने की गुंजाइश बरकरार है।

पार्टी की पोलित ब्यूरो की बैठक के बाद माकपा महासचिव प्रकाश कारत ने कहा कि इस मुद्दे पर गठित संप्रग-वाम समिति की बैठक कुछ ही दिनों में होगी और उम्मीद है कि उसमें से कुछ समाधान निकलेगा।

यह पूछे जाने पर कि क्या माकपा इस करार के खिलाफ अड़ियल है, उन्होंने कहा सरकार और हममें से कोई अड़ियल नहीं है। हम अड़ियल होंगे तो समाधान कैसे निकलेगा।

करात ने कहा कि वामदल अपने इस रुख पर कायम हैं कि बातचीत पूरी होने तक सरकार परमाणु करार के क्रियान्वयन की दिशा में आगे नहीं बढ़े।

उन्होंने कहा कि इसी सप्ताह शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में परमाणु करार पर चर्चा प्रारंभ होगी। माकपा नेता ने उम्मीद जाहिर की कि सभी दल चाहे वे समझौते के पक्ष में हों या विरोध में, संसद में चर्चा होने देंगे और उसमें शिरकत करके अपने विचार व्यक्त करेंगे।

माकपा महासचिव ने कहा कि वे और भाकपा नेता एबी बर्धन हाल ही में इस बारे में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह संप्रग अध्यक्ष सोनिया गाँधी और विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी से अलग से बातचीत कर चुके हैं। उन्होंने कहा हममें मतभेद हैं, उन्हें दूर करने के प्रयास हो रहे हैं। हम देखेंगे कि इस समझौते का क्या किया जाए।

दूसरी ओर भाकपा ने भी सोमवार को संकेत दिए कि वामदल अमेरिका के साथ विवादास्पद परमाणु के परिचालन के लिए जरूरी भारत संबंधी सुरक्षा मानकों की शुरुआत किए बिना इनके बारे में अंतरराष्ट्रीय परमाणु नियंत्रक (आईएईए) के साथ बातचीत को अनुमति देने पर विचार कर सकता है।

पार्टी महासचिव एबी बर्धन ने एनडीटीवी से कहा कि करार के बारे में आशंकओं पर विचार के लिए गठित संप्रग वाम समिति इस पेशकश पर विचार कर सकती है।

उन्होंने कहा कि यह मेरे विचार का सवाल नहीं है। मैं फिर से दोहरा रहा हूँ कि यह समिति में उठाया जाने वाला सवाल है। यह समिति इसीलिए गठित की गई है।

समिति इस निष्कर्ष पर पहुँच सकती है कि इसे अनुमति दी जा सकती है, बशर्ते वह इसे (सुरक्षा मानकों को) शुरू किए बिना वापस लौटते हैं तथा आईएईए के निदेशक मंडल को इसे भेजने से पहले उन्हें (सरकार को) वापस आना चाहिए और उस समय भी हम कह सकते हैं- नहीं, नहीं हरगिज नहीं। इसे रोक दिया जाना चाहिए।