Last Modified: नई दिल्ली ,
बुधवार, 16 जुलाई 2014 (18:00 IST)
आईएईए की निगरानी में नहीं परमाणु रिएक्टर
FILE
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को स्पष्ट किया कि देश के सभी परमाणु ऊर्जा रिएक्टर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की निगरानी में नहीं हैं और इस समय 22 रिएक्टरों में से केवल 12 पर ही आईएईए के सुरक्षा उपायों के अधीन हैं।
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इस समय 22 रिएक्टरों में से 12 नाभिकीय विद्युत रिएक्टर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सुरक्षा उपायों के अधीन हैं। इनमें तारापुर, रावतभाटा, काकरापार तथा कुडनकुलम परियोजना शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि आईएईए के अधीन वाले रिएक्टरों में आयातित यूरेनियम को ईंधन के रूप में उपयोग में लाया जाता है और इन रिएक्टरों के लिए यूरेनियम का आयात रूसी परिसंघ, कजाखिस्तान, फ्रांस तथा उज्बेकिस्तान से किया जाता है।
सिंह ने एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में बताया कि इस समय देश में 20 रिएक्टरों की स्थापित नाभिकीय विद्युत क्षमता 4,780 मेगावॉट है। इनमें से एक राजस्थान परमाणु बिजलीघर को विस्तारित अवधि के लिए बंद किया गया है और 19 रिएक्टर जिनकी क्षमता 4,680 मेगावॉट है, वाणिज्यिक रूप से कार्यरत हैं।
उन्होंने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच हुए असैन्य परमाणु ऊर्जा करार के तहत न्यूक्लियर पॉवर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड तथा अमेरिकी कंपनियों के बीच परियोजनाओं के विभिन्न कानूनी एवं तकनीकी पहलुओं के संबंध में बातचीत जारी है।
सिंह ने एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि सरकार फ्रांस की कंपनी एरेवा के सहयोग से परमाणु रिएक्टर बनाने का विचार कर रही है।
उन्होंने एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में बताया कि तमिलनाडु के कलपक्कम में निर्माणाधीन 500 मेगावॉट क्षमता वाला प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर निर्माण और कमीशनिंग के अग्रिम चरण में है। (भाषा)