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Last Modified: शनिवार, 23 जुलाई 2022 (18:59 IST)

फिर सामने आई सपा की अंदरूनी कलह, चाचा शिवपाल ने अखिलेश को कहा- धन्यवाद

फिर सामने आई सपा की अंदरूनी कलह, चाचा शिवपाल ने अखिलेश को कहा- धन्यवाद - You Are Free to Go Anywhere...: Akhilesh Yadav Tears Into Shivpal
लखनऊ। राजनीति के क्षेत्र में देश में अतिप्रतिष्ठित मुलायम सिंह यादव परिवार की अंदरूनी कलह शनिवार को एक बार फिर खुलकर सामने आ गई जब समाजवादी पार्टी में सम्मान न मिलने का आरोप लगाने वाले अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दो टूक शब्दों में कहा कि उन्हें जहां सम्मान मिले, वहां वे जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
 
अखिलेश ने आज शिवपाल को संबोधित एक पत्र जारी कर कहा कि अगर आपको लगता है कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वही जाओ। आप जहां चाहे जाने के लिए स्वतंत्र हैं। पत्र जारी होने के कुछ समय बाद शिवपाल ने कू किया कि मैं वैसे तो सदैव से ही स्वतंत्र था, लेकिन समाजवादी पार्टी द्वारा पत्र जारी कर मुझे औपचारिक स्वतंत्रता देने हेतु सहृदय धन्यवाद। राजनीतिक यात्रा में सिद्धांतों एवं सम्मान से समझौता अस्वीकार्य है।
शिवपाल और भतीजे अखिलेश के बीच राजनीतिक विरासत को लेकर मनमुटाव की शुरुआत एक दशक पहले ही हो गयी थी जब 2012 के विधानसभा चुनाव में बहुमत की सरकार बनाने वाली सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपने अनुज शिवपाल की बजाय अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश की सत्ता सौंपने का निर्णय लिया था। इसके बाद शिवपाल सरकार में तो शामिल हुये मगर चाचा भतीजे के बीच खटास समय समय पर सामने आती रही।
 
इस बीच शिवपाल ने सपा में विधायक रहते हुए अपनी नई पार्टी प्रसपा का गठन किया मगर पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इस दौरान शिवपाल पर सत्तारूढ़ भाजपा से निकटता के आरोप लगते रहे। इसी साल संपन्न राज्य विधानसभा चुनाव में आपसी मनमुटाव भुलाकर चाचा भतीजे ने एक मंच पर आना स्वीकार किया और प्रसपा को सपा गठबंधन में शामिल किया गया। 
 
हालांकि टिकट के नाम पर सिर्फ शिवपाल को टिकट मिला वो भी सपा के चुनाव चिन्ह पर जसवंतनगर से चुनाव लड़ने का मौका दिया गया। हर बार की तरह शिवपाल को एक बार फिर जीत मिली मगर सपा गठबंधन की हार के बाद यादव परिवार के इस अहम रिश्ते में एक बार फिर दरार दिखने लगी जब अखिलेश ने सपा की बैठक में शिवपाल को आमंत्रित नहीं किया जिसे शिवपाल ने अपना अपमान करार दिया और चाचा भतीजे के बीच राजनीतिक विरासत की लड़ाई एक बार फिर सतह पर आ गई।
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