House Allotment Case : आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी कि उन्हें चुनिंदा तरीके से निशाना बनाया गया है क्योंकि वह संसद में एक मुखर विपक्षी सदस्य हैं। चड्ढा ने यह भी दावा किया कि वह राज्यसभा के एकमात्र मौजूदा सदस्य हैं, जिन्हें आवंटित बंगला खाली करने को कहा गया है।
चड्ढा ने उन्हें आवंटित सरकारी बंगले को खाली कराने से राज्यसभा सचिवालय को रोकने वाले एक अंतरिम आदेश को रद्द करने के एक निचली अदालत के पांच अक्टूबर के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। आप नेता ने कहा कि आवास का आवंटन विवेक के इस्तेमाल का मामला है और संबंधित सांसद की विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया जाता है और इस विवेकाधिकार का प्रयोग करते हुए राज्यसभा में 245 मौजूदा सदस्यों में से 115 को उनकी स्वाभाविक पात्रता से इतर आवास प्रदान किया गया है।
चड्ढा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी को बताया कि सांसद को खतरों के मद्देनजर जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की गई है और उनके आवास पर सुरक्षा कर्मियों की एक बड़ी टुकड़ी तैनात करने की आवश्यकता है, ऐसे में सुरक्षाकर्मियों को पंडारा पार्क में पूर्व में आवंटित बंगले में समायोजित नहीं किया जा सकता।
पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने चड्ढा को जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की है, जो वहां से राज्यसभा सदस्य हैं। सिंघवी ने कहा कि चड्ढा के पंजाब-दिल्ली क्षेत्र से करीबी जुड़ाव और मौजूदा सांसद व पूर्व विधायक होने के कारण बहुत सारे लोग उनसे नियमित रूप से मिलने आते हैं।
उन्होंने कहा कि चड्ढा राज्यसभा के इतिहास में एकमात्र मौजूदा सांसद हैं, जिन्हें उनके आवंटित आवास को खाली करने को कहा गया है जबकि उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया था और आवश्यक नवीनीकरण कार्य के बाद परिवार के साथ इसमें रहना शुरू कर दिया।
याचिका में कहा गया है कि राज्यसभा सचिवालय ने निचली अदालत के आदेश के कुछ घंटों के भीतर उन्हें नोटिस भेजने में बहुत जल्दबाजी दिखाई थी। राज्यसभा सचिवालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सांसद सरकारी संपत्ति रखने पर नकारात्मक समानता की मांग नहीं कर सकते।
नकारात्मक समानता सिद्धांत का तात्पर्य है कि यदि राज्य ने एक व्यक्ति को गलत तरीके से लाभ दिया है, तो कोई अन्य व्यक्ति केवल उसके कारण समान लाभ का दावा नहीं कर सकता है। वकील ने कहा कि निचली अदालत ने 18 अप्रैल को अंतरिम आदेश पारित किया तो राज्यसभा सचिवालय का पक्ष नहीं सुना गया।
उच्च न्यायालय में बुधवार को सुनवाई करीब चार घंटे तक चली और गुरुवार को भी मामले में सुनवाई जारी रहेगी। निचली अदालत ने पांच अक्टूबर के एक आदेश में कहा था कि चड्ढा यह दावा नहीं कर सकते कि उन्हें आवंटन रद्द होने के बाद भी राज्यसभा सांसद के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान सरकारी बंगला रखने का अधिकार है।
निचली अदालत ने 18 अप्रैल को पारित एक अंतरिम आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की थी, जिसमें राज्यसभा सचिवालय को चड्ढा से सरकारी बंगला खाली नहीं कराने का निर्देश दिया गया था। निचली अदालत ने कहा था कि चड्ढा को उचित कानूनी प्रक्रिया के बिना अंतरिम राहत दी गई थी।
निचली अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया था कि सांसद के रूप में आवास के आवंटन को सदस्य के पूरे कार्यकाल के दौरान किसी भी परिस्थिति में निरस्त नहीं किया जा सकता।
चड्ढा को पिछले साल छह जुलाई को पंडारा पार्क में टाइप 6 बंगला आवंटित किया गया था लेकिन उन्होंने 29 अगस्त को राज्यसभा के सभापति को ज्ञापन सौंपकर टाइप 7 बंगला आवंटित करने का अनुरोध किया था। इसके बाद उन्हें पंडारा रोड पर एक अन्य बंगला आवंटित कर दिया गया हालांकि, इस साल मार्च में आवंटन रद्द कर दिया गया।
अप्रैल, 2022 में राज्यसभा सदस्यों के लिए जारी हैंडबुक के अनुसार पहली बार के सांसद होने के नाते चड्ढा को सामान्य तौर पर टाइप-5 का बंगला आवंटित किया जा सकता है। इसके अनुसार, केंद्रीय मंत्री रह चुके सांसदों, पूर्व राज्यपालों या पूर्व मुख्यमंत्रियों और पूर्व लोकसभा अध्यक्षों को टाइप-7 बंगलों में रहने का अधिकार है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)