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Written By विकास सिंह
Last Updated : मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022 (13:39 IST)

संसद में महंगाई और कोरोना को लेकर कांग्रेस पर क्यों अक्रामक नजर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?

संसद में महंगाई और कोरोना को लेकर कांग्रेस पर क्यों अक्रामक नजर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी? - Why did Prime Minister Narendra Modi aggressive on Congress in Parliament?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर दिए गए अपने जवाब में विपक्ष खासकर कांग्रेस पर काफी मुखर नजर आए। पीएम मोदी ने अपने भाषण में महंगाई से लेकर  कोरोना तक का जिक्र करते हुए मुंबई और दिल्ली से प्रवासी मजूदरों के पलायन के लिए कांग्रेस और केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में कोरोना फैलाने का ठीकरा विपक्ष पर फोड़ दिया।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कोरोनाकाल में विपक्ष खासकर कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को बदनाम करने का आरोप लगाया है। पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने के लिए भारत ने जो रणनीति बनाई उसको लेकर पहले दिन से क्या-क्या नहीं कहा गया, किस-किस ने क्या और क्या-क्या नहीं बुलवाया गया। पीएम ने कहा कि दुनिया के लोगों से बड़ी- बड़ी कॉफ्रेंस कर ऐसी बातें बुलवाई गई कि पूरे विश्व में भारत बदनाम न हो जाए। अपने को बनाए रखने के लिए क्या नहीं बुलवाया गया।    
 
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कोरोना का जिक्र करते हुए चुनावी राज्यों उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में कोरोना महामारी फैलने का कारण कांग्रेस और केजरीवाल को बताया गया। ऐसे में सवाल अब यह उठने लगा है कि क्या इन तीनों चुनावी राज्यों में कोरोना और कोरोना काल की अव्यवस्था बड़ा मुद्दा है। 
उत्तरप्रदेश की राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में जो मिस मैनेजमेंट हुआ है,अस्पतालों में लोगों को बेड और दवा नहीं मिली ऐसे में अपना ब्लेम दूसरों पर डालने के लिए प्रधानमंत्री इस तरह की बातें कर रहे है और अगर वह यह ब्लेम कर रहे है कि कांग्रेस या केजरीवाल की पार्टी ने लोगों को घर जाने के लिए प्रेरित किया और इससे कोरोना फैला तो सबसे पहले सरकार को यह बताना चाहिए कि चीन, अमेरिका और यूरोप के देशों से जो लोग एयरपोर्ट पर आए उनकी स्क्रीनिंग क्यों नहीं हुई। दूसरी बात क्यों इंतजार किया गया है कि ट्रंप का कार्यक्रम हो जाए, मध्यप्रदेश में तख्ता पलट हो जाए तो उसके लिए कौन जिम्मेदार है। 
 
वह आगे कहते हैं कि पूरे उत्तरप्रदेश चुनाव में कोरोना और बेरोजगारी का मुद्दा बहुत बड़ा है। इस चुनाव में रूरल डिस्ट्रेस का मुद्दा है और उसकी काट के लिए भाजपा हिंदू-मुस्लिम और दूसरों को ब्लेम कर रही है। पलायन करके आने वाले लोगों के पास आज रोजगार नहीं है वहीं कोरोनाकाल में असंगठित क्षेत्र पूरी तरह चौपट हो चुका है। वहीं भाजपा को जो ग्राउंड से खबर मिल रही है वह उसको अनुकूल नहीं है,ऐसे में प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में असफलताओं का ठीकरा दूसरे पर फोड़ा है। 
 
वहीं संसद में दिए गए अपने भाषण में पीएम मोदी के कांग्रेस पर हमला बोलने पर कांग्रेस की राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर राकेश पाठक कहते हैं कि संसद में अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी असफलताओं को अतीत की राख को कुरेद कर छिपाने की कोशिश करते नजए आए। चाहे उसके लिए उन्होंने नेहरू को याद किया या दो साल पहले के कोरोनाकाल के समय को। मेरी नजर में पीएम मोदी का भाषण संसदीय इतिहास का सबसे गैर जिम्मेदाराना भाषण था। प्रधानमंत्री जी ने तथ्यात्मक उत्तर देने के बजाए विपक्ष और विपक्ष के नेताओं पर आरोप लगाए। 
कोरोनाकाल में कांग्रेस पर विस्थापन का आरोप लगाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में ही इस बात का हलफनामा दे चुकी थी कि सड़कों पर कोई मजदूर नहीं है। वहीं सरकार ने यह भी स्वीकार था कि उसने 69 लाख मजूदरों को भेजा, ऐसे में कांग्रेस कोरोना फैलाने की दोषी कैसे हो गई।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना है कि उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड और पंजाब में कोरोना फैलाने के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है तो वह यह भूल गए कि पहली लहर में वह गुजरात में नमस्ते ट्रंप कर रहे थे,दूसरी लहर में बंगाल में चुनाव प्रचार कर रहे थे। वहीं देश और समाज में व्यवस्था को बनना सरकार की जिम्मेदारी होती है ऐसे में कांग्रेस पर दोष मढ़ा नहीं जा सकती है। वहीं प्रधानमंत्री का भाषण एक सेल्फ गोल है कि अपने भाषण से कहीं न कहीं इस बात पर मोहर लगा दी कि कोरोनाकाल में कांग्रेस सड़क पर उतरकर मजदूरों की मदद कर रही थी। 

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जिस अंदाज में हमला बोला उसके कई सियासी मायने है। असल में कांग्रेस संगठनात्मक स्तर पर देश की एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसका पूरे देश मेंं विस्तार है, ऐसे में अगर भाजपा के खिलाफ कोई फ्रंट खड़ा होता है तो उसकी धुरी कांग्रेस ही होगी इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में आजादी से लेकर अब तक कांग्रेस की नीतियों पर सवाल उठाया है।