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Last Updated : रविवार, 24 दिसंबर 2023 (16:01 IST)

WFI Suspend : खुश हुए साक्षी, बजरंग और विनेश, क्या बोले बृजभूषण शरण सिंह

WFI Suspend : खुश हुए साक्षी, बजरंग और विनेश, क्या बोले बृजभूषण शरण सिंह - WFI Suspend : sakshi malik, bajrang punia happy, what brij bhushan sharan singh says
WFI suspend news : खेल मंत्रालय ने रविवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया। पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने फैसले का स्वागत किया। वहीं बृजभूषण शरण सिंह ने संजय सिंह के फैसले का बचाव किया। 
पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि यह पहलवानों की बेहतरी के लिए हुआ है। हम तो कह रहे थे कि यह बेटियों और बहनों की लड़ाई है, यह पहला कदम है।
 
पहलवान बजरंग पूनिया ने भी खेल मंत्रालय के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने संजय सिंह के भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बनने के बाद अपना पद्म श्री अवॉर्ड वापस कर दिया था। कुश्ती संघ के निलंबन के बाद बजरंग ने कहा कि वह सम्मान वापस ग्रहण करेंगे।
 
कुश्ती संघ के निलंबन पर विनेश फोगाट ने एक टीवी चैनल से कहा कि हमारी लड़ाई सरकार के खिलाफ नहीं थी, खिलाड़ियों के हित में यह फैसला लिया। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई बृजभूषण शरण सिंह के शोषण के खिलाफ है। न्यायालय में हम लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें जिस दिन न्याय मिल जाएगा, हम विरोध खत्म कर देंगे।
 
इधर पूर्व WFI प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि संजय सिंह मेरे रिश्तेदार नहीं हैं। नंदिनी नगर में अंडर-15 और अंडर-20 नेशनल आयोजित करने की घोषणा यह सुनिश्चित करने के लिए की गई थी कि खेल आयोजन फिर से शुरू हों।

भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक के बाद बृजभूषण ने कहा कि इस खेल की राजनीति से दूर रहूंगा। कुश्ती को लेकर जो कुछ भी करना होगा वह नई संस्था करेगी। मेरा इससे कोई लेना देना नहीं है।
 
उल्लेखनीय है कि WFI के चुनाव 21 दिसंबर को हुए थे जिसमें पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह और उनके पैनल ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का फैसला किया था। वहीं, बजरंग पूनिया ने पद्मश्री लौटा दिया था। पहलवान वीरेंद्र सिंह ने भी पद्म श्री लौटाने के ऐलान कर दिया था। ऐसे में कई लोगों का मानना था कि खिलाड़ियों के बढ़ते विरोध के कारण सरकार ने यह फैसला लिया है।
 
हालांकि खेल मंत्रालय के अनुसार, नवनिर्वाचित संस्था ने उचित प्रकिया का पालन नहीं किया और पहलवानों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिए बिना अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन की ‘जल्दबाजी में घोषणा’ की थी। नई संस्था पूरी तरह से पूर्व पदाधिकारियों के नियंत्रण में काम कर रही थी जो राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप नहीं है।