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Last Modified: बुधवार, 31 जुलाई 2024 (21:52 IST)

Delhi Rau IAS Coaching Centre : विकास दिव्यकीर्ति और अवध ओझा के बयानों से क्यों भड़के छात्र

Awadh Ojha vikas divyakirti
दिल्‍ली के राव कोचिंग सेंटर में शनिवार को बेसमेंट में पानी घुसने से 3 छात्रों की मौत हो गई थी। इसके बाद कोचिंग सेंटर्स को लेकर बवाल मचा हुआ है। दृष्टि आईएएस के विकास दिव्‍यकीर्ति और टीचर अवध ओझा भी घटना के बाद चर्चाओं में आ गए हैं। हालांकि दोनों का बयान घटना के तीन दिनों के बाद सामने आया है। दोनों की सोशल मीडिया में जमकर आलोचना हो रही थी। 
 
छात्र इंटरनेट के वायरल टीचर्स विकास दिव्यकीर्ति और अवध ओझा को जमकर ट्रोल कर रहे हैं। उनके खिलाफ पोस्टर लहरा रहे हैं। एमसीडी ने सोमवार को कई कोचिंग सेंटरों को सील किया था। इनमें दृष्टि आईएएस भी शामिल था। इसके दूसरे दिन दृष्टि आईएएस ने प्रतिक्रिया दी है। 
अपने एक्स एकाउंट से जारी बयान में टीम दृष्टि की तरफ से घटना और उसके बाद की परिस्थितियों पर खेद व्यक्त किया गया है। साथ ही अपना पक्ष देरी से रखने के लिए माफी मांगी गई है। विकास दिव्यकीर्ति दृष्टि आईएएस के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और घटना के बाद उनकी तरफ से बयान न आने के चलते इंटरनेट मीडिया पर उनकी आलोचना हो रही थी। 
 
उधर, आईएएस कोचिंग चलाने वाले अवध ओझा ने बयान देकर चार मांगें रखी हैं। उन्होंने कहा है कि कोचिंग के लिए सभी जरूरी मानक तय होने चाहिए। एक कक्षा में 100 बच्चों से अधिक नहीं बैठने चाहिए। एडमिशन फॉर्म में कोचिंग सेंटरों को एक अंडरटेकिंग देनी चाहिए कि हादसा होने पर जिम्मेदारी उनकी होगी। पूरी प्रक्रिया पर एक कठोर कानून बनना चाहिए। 
 
उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, मेयर का इस्तीफा मांगने से कुछ नहीं होगा। दूसरा व्यक्ति आएगा और कुछ दिनों बाद व्यवस्था पहले जैसी हो जाएगी। कठोर कानून बने। फायर एनओसी देने वाले और एमसीडी हर जिम्मेदार अधिकारी व कोचिंग संचालक की संपत्ति जब्त हो और उनको आजीवन कारावास का प्रावधान हो।
 
बेसमेंट में संस्थान चलाने पर क्या बोले : विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि उन्हें बेसमेंट में संस्थान चलाने की अनुमति मिल भी जाती है तो वे ऐसा नहीं करेंगे तथा यह भी प्रयास करेंगे कि एक भी कोचिंग संस्थान बेसमेंट में न चले। डीडीए, एमसीडी और दिल्ली फायर डिपार्टमेंट के मानदंडों में विरोधाभास की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि हमें एनओसी क्यों नहीं मिल रही है? 
 
डीडीए का मानना ​​है कि यह एमसीडी का काम है और एमसीडी कहती है कि यह डीडीए का काम है। एमसीडी ने डीडीए को कई पत्र लिखे हैं और डीडीए ने भी कई पत्रों का जवाब देते हुए यहां तक ​​कहा है कि उनके पास दस्तावेज नहीं हैं और आपको उन्हें देखना होगा। हाईकोर्ट में पिछली बैठक में डीडीए ने पहली बार कहा था कि वे एमसीडी को अधिकार दे रहे हैं और अब बुधवार को होने वाली सुनवाई में एमसीडी हमें अनुमति दे सकती है। इनपुट एजेंसियां