नई दिल्ली, भूकम्प को लेकर उत्तराखंड विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है जहां भूकम्प का अंदेशा हमेशा बना रहता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने भूकंप की पूर्व चेतावनी देने वाला एक मोबाइल ऐप (उत्तराखंड भूकम्प अलर्ट) लॉन्च किया है।
भूकम्प की पूर्व चेतावनी देने वाला यह देश का पहला ऐप है। यह मोबाइल एप्लिकेशन एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म के लिए उपलब्ध हैं।
भूकम्प पूर्व चेतावनी प्राप्त करने के लिए यूजर को केवल यह ऐप इंस्टॉल करना है और इंस्टॉलेशन के दौरान कुछ जरूरी जानकारियां दर्ज करनी है। ऐप में ज्ञानवर्धक वीडियो हैं, जो भूकम्प के दौरान जीवन रक्षा की सिलसिलेवार जानकारी देते हैं।
यह ऐप उत्तराखंड में 5 से अधिक तीव्रता के विनाशकारी भूकम्पों की ही पूर्व चेतावनी देता है। ऐप पर चेतावनी के संकेत इंटरनेट के माध्यम से पहुंचते हैं। इसलिए यूजर को इंटरनेट से जुड़े रहना होगा। हालांकि ऐप डेटा का इस्तेमाल केवल भूकम्प की सूचना देने के दौरान करता है।
यह ऐप भूकम्प की रियल टाइम चेतावनी देता है। इसकी मदद से भूकम्प के झटकों का आरंभ में ही पता लग सकता है और जोर के झटके आने से पहले ही सार्वजनिक चेतावनी द्वारा लोगों को आगह किया जा सकता है। इस भूकम्प पूर्व चेतावनी तंत्र का भौतिक आधार भूकम्प की तरंगों की गति है जो फॉल्ट लाइन में गति से स्ट्रेस रिलीज पर फैलती है।
धरती का जोर से हिलना तरंगों के कारण होता है जिसकी गति शुरुआती तरंगों की आधी होती है और जो विद्युत चुम्बकीय संकेतों से बहुत धीमी गति से बढ़ती है। यह सिस्टम इसी का लाभ लेता है।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी कहते हैं -“मुझे यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि आईआईटीआर ने भूकंप की पूर्व चेतावनी देने वाला मोबाइल ऐप तैयार किया है, जो किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए भूकंप की घटना और उसके आने के अपेक्षित समय और तीव्रता की तत्काल सूचना देता है। यह परियोजना विशेष रूप से उत्तराखंड सरकार के साथ सहयोगात्मक रूप से शुरू की गई थी, क्योंकि यह क्षेत्र भूकंपीय गतिविधियों से ग्रस्त है”
इस परियोजना के तहत उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के ऊंचे इलाकों में सेंसर लगाए गए हैं। भूकम्प के डेटा आईआईटी रुड़की के ईईडब्ल्यू सिस्टम प्रयोगशाला, सीओईडीएमएम स्थित सेंट्रल सर्वर में आते हैं।
डेटा स्ट्रीम करने के लिए तीव्र गति दूरसंचार का उपयोग किया जाता है जबकि उच्च प्रदर्शन वाले कम्प्युटर गणना कार्य करते हैं। यह सर्वर सेंसर वाले क्षेत्रों में 5 से अधिक तीव्रता के भूकम्प का पता चलते ही सार्वजनिक चेतावनी देता है। भूकम्प के केंद्र से दूरी बढ़ने के साथ चेतावनी का समय बदलता है।
मोबाइल ऐप की विशिष्टता बताते हुए प्रोजेक्ट के प्रधान परीक्षक प्रोफेसर कमल के अनुसार यह ऐप भूकम्प के दौरान दुर्भाग्यवश फंस गए लोगों के स्थान का रिकॉर्ड भी रखता है और आपदा सहायता बल को इसकी सूचना देता है।
शुरुआती समय में आईआईटी रुड़की ने राज्य के भूकंप की पूर्व चेतावानी देने के लिए दो प्रमुख शहरों (देहरादून और हल्द्वानी) में सार्वजनिक सायरन लगाने में उत्तराखंड सरकार की मदद की लेकिन पूरे राज्य को यह चेतावनी देने के लिए समय और संसाधन की कमी देखते हुए संस्थान ने स्मार्टफोन एप्लिकेशन को एक बेहतर विकल्प के तौर पर चुना क्योंकि आज अधिक से अधिक लोगों के पास स्मार्टफोन है और इसके माध्यम से चेतावनी जनता तक तुरंत पहुंचाई जा सकती है।
उत्तराखंड भूकम्प अलर्ट मोबाइल ऐप का प्रोजेक्ट उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने स्पांसर किया है।
(इंडिया साइंस वायर)