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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: मंगलवार, 28 मार्च 2017 (21:30 IST)

आतंकी हमलों ने खोली सुरक्षा व्यवस्था की पोल

Terrorism
श्रीनगर। लोकसभा की दो सीटों के लिए होने वाले मतदान से पहले कश्मीर में आतंकी हिंसा ने जो जोर पकड़ा है उसने सुरक्षा व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि आतंकी हमलों के साथ-साथ आतंकियों द्वारा हथियार लूटने की वारदातें कश्मीर से जम्मू तक का सफर तय कर गई हैं जो चिंता का विषय बन गया है।
जम्मू कश्मीर में पिछले 24 घंटे में हथियार लूटने की तीन घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं ने राज्य में सुरक्षा एजेंसियों की चिंता दोगुनी कर दी है। हथियार लूटने की दो घटनाएं बडगाम और जम्मू में हुईं तो तीसरी घटना डुरू में हुई है जो अनंतनाग का हिस्सा है। अनंतनाग में 12 अप्रैल को वोट डाले जाने हैं।
 
यह भी गौरतलब है कि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में राज्य के हज एवं वक्फ मंत्री एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता फारुक अहमद अंद्राबी के डुरु-अनंतनाग स्थित पैतृक निवास पर रविवार रात हुए आतंकवादी हमले में सुरक्षाबलों को अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
 
अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादियों ने रविवार रात मंत्री के घर हमला किया था। आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान मंत्री के घर की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों ने जवाबी कार्रवाई की लेकिन सभी आतंकवादी मंत्री के घर में घुसने में कामयाब रहे और उन्होंने सुरक्षाबलों के हथियारों को लूट लिया। इस दौरान 2 पुलिसकर्मी घायल भी गए जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
 
सुरक्षाबलों के वहां पहुंचने से पहले आतंकवादी अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में कामयाब रहे। इस आतंकवादी हमले के दौरान अहमद घर पर मौजूद नहीं थे। बाद में सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। इस हमले से कुछ घंटे पहले ही सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के 2 आतंकवादी मारे गए थे।
कश्मीर में हथियार लूटने की इन तीनों ही घटनाओं में आतंकियों ने पुलिसकर्मियों के पास मौजूद राइफलों को छीन लिया और भाग गए। जम्मू की घटना में एक आतंकवादी को गिरफ्तार कर लिया गया तो दूसरा आतंकी एके-47 राइफल लेकर फरार हो गया।
 
इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारियों की मानें तो जो पैटर्न नजर आ रहा है, उसमें तेजी आती जा रही है और इसकी शुरुआत पिछले वर्ष जुलाई से ही हो चुकी है। यह हिजबुल की एक योजना है और इसके बारे में संगठन ने पिछले वर्ष एक वीडियो जारी करके ऐलान कर दिया था। अधिकारी ऐसी घटनाओं पर चिंता जाहिर कर रहे हैं और उन्होंने जानकारी दी है कि हिजबुल ने आतंकियों से ऐसा करने की अपील की है। घाटी में अशांति के दौरान संगठन में युवाओं को शामिल करने के लिए एक रिक्रूटमेंट ड्राइव की शुरुआत हुई थी। संगठन में युवाओं की भर्ती में तीन गुना तेजी आई है।
 
गुप्तचर अधिकारियों का कहना है कि भर्ती में एकदम से इजाफा हुआ है लेकिन हथियारों की कमी बनी हुई है। इस वजह से ही हथियार लूटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इन घटनाओं की योजना पहले से ही तैयार की गई है और इसका मकसद सुरक्षाबलों के सामने शर्मनाक स्थिति पैदा करना है। पिछले वर्ष जब जुलाई में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत हुई थी उसके बाद से ही आतंकियों ने 60 सर्विस राइफल्स को लूटने की घटनाओं को अंजाम दिया है। भारतीय सेना ने भी इन घटनाओं पर चिंता जाहिर की है। सेना का कहना है कि वह स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही है जिन्हें निशाना बनाया गया है।  
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