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Written By सुरेश डुग्गर
Last Modified: जम्मू , शुक्रवार, 15 मार्च 2019 (10:35 IST)

तीन आतंकी कमांडरों को सौंपने से ही टूट जाएगी कश्मीरी आतंकवाद की कमर?

तीन आतंकी कमांडरों को सौंपने से ही टूट जाएगी कश्मीरी आतंकवाद की कमर? - terrorism in Kashmir
जम्मू। कश्मीर में 30 सालों से फैले आतंक की आग को मात्र तीन लोग बुझा सकते हैं। इस पर विश्वास नहीं होता। लेकिन यह सत्य है कि कश्मीर में फैले आतंक के लिए वर्तमान में जिम्मेदार तीन आतंकी कमांडरों की गिरफ्तारी मात्र कश्मीर में आतंक की ज्वाला को ठंडा कर सकती है। और ये तीनों कमांडरों आज पाकिस्तान में हैं जिनके नाम उस सूची में सबसे प्रमुख स्थान पर हैं जिसे भारत ने पाकिस्तान को कई बार सौंपा है।
 
ये तीन आतंकी कमांडर हैं जैश-ए-मुहम्मद के सर्वोसर्वा मौलाना मसूद अजहर। लश्करे तौयबा को चलाने वाले हफीज मुहम्मद सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन के सुप्रीम कमांडर सैयद सलाहुद्दीन। इन तीनों के प्रति एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जम्मू कश्मीर पुलिस का यह मानना है कि अगर तीनों को पाकिस्तान भारत सरकार को सौंप देती है तो कश्मीर में आंतकवाद की कमरी पूरी तरह से तो नहीं लेकिन 90 प्रतिशत अवश्य टूट जाएगी।
 
हालांकि भारत सरकार ने पाकिस्तान को आतंकियों की जो सूची सौंप रखी है, उसमें कश्मीर में आतंक के लिए यह तीनों ही जिम्मेदार हैं जिनके नाम इस सूची में हैं। फिलहाल कश्मीर पुलिस को भी इंतजार है कि वह दिन अवश्य आएगा जिस दिन पाकिस्तान इन तीनों को भारत के हवाले करेगा जो सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से कश्मीर में फैले आतंकवाद के लिए जिम्मेदार हैं।
 
यह बात अलग है कि लश्करे तौयबा के प्रमुख हफीज मुहम्मद सईद कभी कश्मीर में नहीं आए लेकिन वे कश्मीर में फैले आतंकवाद के लिए जिम्मेदार इसलिए माने जाते हैं क्योंकि कश्मीर पुलिस के मुताबिक, ‘कश्मीर में उनके गुट द्वारा की जाने वाली घटनाओं के लिए हम उसके मुखिया को ही जिम्मेदार मानते हैं।’
 
लेकिन जैश-ए-मुहम्मद के मौलाना मसूद अजहर तथा हिज्बुल मुजाहिदीन के सलाहुद्दीन अवश्य कश्मीर में सीधे आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेदार माने जा सकते हैं। इनमें से सलाहुद्दीन तो कश्मीर का नागरिक भी है जिसने 1987 के विवादास्पद विधानसभा चुनावों में हिस्सा भी लिया था और कथित चुनावी धांधलियों के विरोध में उसने बंदूक उठा ली थी। सईद सलाहुद्दीन आप ही हिज्बुल मुजाहिदीन का सुप्रीम कमांडर बन बैठा था जब मास्टर अहसान डार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। सुप्रीम कमांडर बनने के उपरांत वह पाक कब्जे वाले कश्मीर में चला गया था।
 
इन तीनों आतंकी कमांडरों के विरूद्ध कश्मीर घाटी में कई मामले दर्ज हैं। कई में उनकी संलिप्तता प्रत्यक्ष दर्शाई गई है तो कईयों में अप्रत्यक्ष। कश्मीर पुलिस के महानिदेशक के राजेंद्रन के अनुसार, इन तीनों संगठनों के तीनों कमांडर पूरी तरह से कश्मीर में फैले आतंकवाद के लिए जिम्मेदार हैं और आज यही तीन गुट कश्मीर में सक्रिय हैं जबकि बाकी अन्य का सफाया हो चुका है।
 
इन नेताओं के खिलाफ कश्मीर में जो मामले दर्ज हैं उनमें सईद सलाहुद्दीन के खिलाफ जम्मू कश्मीर के विद्युतमंत्री गुलाम हसन बट के कत्ल का मामला भी है जिनकी एक बारूदी सुरंग विस्फोट में मौत हो गई थी तो जैश-ए-मुहम्मद के सर्वोसर्वा मौलाना मसूद अजहर के खिलाफ 1 अक्टूबर  को कश्मीर विधानसभा के बाहर हुए मानव बम तथा आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी का मामला पुलिस फाइलों में दर्ज है जिसमें 46 लोग मारे गए थे।
 
तीनों आतंकी कमांडरों का प्रत्यर्पण कैसे आतंकवाद की मौत के लिए जिम्मेदार होगा के प्रश्न के उत्तर में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का मत था, ‘आतंकवादियों के लिए नेता एक बल के रूप में होता है और नेता की मौत उनके मनोबल को तोड़ देती है। यही हाल कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों का हो सकता है अगर पाकिस्तान इन तीनों कमांडरों को भारत के हवाले कर दे तो।’
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