दिल्ली-एनसीआर में दिवाली पर नहीं बिकेंगे पटाखे
नई दिल्ली। दिल्ली और एनसीआर में इस बार की दिवाली बगैर पटाखों की रहेगी। उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने सारे लाइसेंस स्थायी और अस्थायी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए है। 11 नवंबर 2016 का बिक्री पर रोक का आदेश फिर से बरकरार रहेगा।
देश के उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि ये प्रतिबंध 1 नवंबर 2017 तक बरकरार रहेगा। कोर्ट ने 12 सितंबर के रोक के आदेश में संशोधन किया है। 1 नवंबर से पटाखे बिक सकेंगे। कोर्ट ने कहा कि एक बार ये टेस्ट करना चाहते हैं कि दिवाली पर क्या हालात होंगे?
दरअसल, न्यायालय ने दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक कुछ शर्तों के साथ हटाई थी। इसमें कहा गया था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री के लिए पुलिस की निगरानी में लाइसेंस दिए जाएं। ज्यादा से ज्यादा 500 अस्थाई लाइसेंस ही दिए जा सकेंगे। कोर्ट ने कहा है कि 2016 में दिए गए लाइसेंस में से 50 फीसदी को ही इस बार लाइसेंस दिया जाएगा। यही नियम एनसीआर में भी लागू किया जाएगा यानी 2016 में दिए गए लाइसेंस के आधे ही इस बार दिए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि साइलेंस जोन के 100 मीटर के भीतर पटाखे नहीं जलाए जाएंगे, यानी अस्पताल, कोर्ट, धार्मिक स्थल और स्कूल आदि के 100 मीटर के दायरे में पटाखे न चलें। इसके अलावा पटाखे बनाने में लिथियम, लेड, पारा, एंटीमोनी व आर्सेनिक का इस्तेमाल न करने का निर्देश है।
दिल्ली और एनसीआर में अगले आदेश तक दूसरे राज्यों से पटाखे नहीं लाए जाएंगे क्योंकि यहां पहले से ही पटाखे मौजूद हैं। 50 लाख किलो पटाखे दिल्ली और एनसीआर में इस दशहरे और दीपावली के लिए पर्याप्त से ज्यादा है। जिन लाइसेंस धारी दुकानदारों के पास पटाखे हैं वो अपना पटाखा बेच सकते हैं या दूसरे राज्यों में निर्यात कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के लाइसेंस पर लगी रोक को अंतरिम रूप से हटाया है, क्योंकि कोर्ट ने कहा है दीपावली के बाद एयर क्वालिटी को देखते हुए कोर्ट सुनवाई करेगा।
गौरतलब है कि पिछले साल 11 नवंबर को दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूरे एनसीआर में पटाखों की बिक्री के लिए कोई नया लाइसेंस नहीं देने और पहले से जारी लाइसेंस को निलंबित करने के आदेश दिए थे।
इसके साथ कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 'सीपीसीबी तीन महीने में रिपोर्ट दाखिल कर बताए कि पटाखों में किस तरह की सामग्री इस्तेमाल किया जा रही है।
पिछले साल 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के खिलाफ तीन बच्चों की याचिका पर यह फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही संकेत दिया था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लग सकती है। यह अपने तरह का अलग मामला है जब 6 से 14 महीने के बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर साफ हवा में सांस लेने के अधिकार की मांग करते हुए निर्देश देने की मांग की थी।
इस याचिका में मांग की गई थी कि दशहरा और दिवाली जैसे त्योहारों पर पटाखों की ब्रिकी पर रोक लगाई जाए। अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव नामक बच्चों की ओर से उनके पिताओं ने दायर जनहित याचिका में कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते हालात खराब हो रहे हैं।