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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: जम्मू , बुधवार, 16 अगस्त 2023 (21:18 IST)

कश्मीर की नई पहचान बना श्रीनगर का 'घंटाघर चौक'

कश्मीर की नई पहचान बना श्रीनगर का 'घंटाघर चौक' - Srinagar's Ghantaghar Chowk became the new identity of Kashmir
Jammu and Kashmir News : डल झील और ट्यूलिप गार्डन के बाद अब एक नए रंग-रूप में निखरकर सामने आया घंटाघर चौक अर्थात लाल चौक कश्मीर की नई पहचान बन गया है। यही कारण है कि अगर कल स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान यहां तिरंगा फहराने के साथ ही सेल्फी लेने वालों की भीड़ उमड़ी थी, वहीं अब टूर ऑपरेटरों ने कश्मीर आने वाले टूरिस्टों के लिए इसे अपनी दर्शनीय स्थलों की सूची में भी शामिल कर लिया है।

कभी आतंकवाद की निशानी रहा घंटाघर, जिसे लाल चौक पर क्लाक टावर के रूप में भी जाना जाता है, कश्मीर में एक समृद्ध इतिहास रखता है। इतिहासकार जरीफ अहमद जरीफ के अनुसार, घंटाघर के निर्माण से पहले, लाल चौक पर एक ‘लाल चौक’ भी था, जिसे ईसाइयों द्वारा विकसित किया गया था। बाद में, जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के अनुरोध पर बजाज समूह द्वारा क्लाक टावर का निर्माण किया गया था।

1975 में इंदिरा गांधी-अब्दुल्ला समझौते के बाद, बजाज समूह कश्मीर पहुंचा और क्लाक टावर विकसित करने के लिए स्थान के रूप में लाल चौक को चुना। बजाज इलेक्ट्रिकल्स ने 1979 में कंपनी के विज्ञापन के रूप में टावर का निर्माण किया था।

1989 के बाद से क्लाक टावर ने राजनीतिक महत्व प्राप्त कर लिया है। राजनेता और कार्यकर्ता अपनी राजनीतिक संबद्धता के आधार पर क्लाक टावर के ऊपर तिरंगा या हरा झंडा फहराने के लिए लाल चौक जाते हैं। यह ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1948 में इसी चौक में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) फहराया था।

अब स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत अधिकारियों ने मौजूदा संरचना को ध्वस्त कर एक नया घंटाघर बना दिया गया है। इसे रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है। अब यही कश्मीर की शान के तौर पर खड़ा है। यह बात अलग है कि आतंकवाद के दिनों में यह घंटाघर पाकिस्तानी झंडों को अपने आप में समेटे रहता ही था, कई आतंकी हमलों का भी गवाह बना था। यही नहीं अनुच्छेद 370 की वापसी से पहले लाल चौक अर्थात घंटाघर चौक में तिरंगा फहराना खाला जी का घर नहीं था।

लाल चौक पर एक दुकान के मालिक बशीर अहमद ने घंटाघर के पुनर्निर्माण पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इसके ऐतिहासिक महत्व के बावजूद प्रशासन ने लंबे समय तक इस स्थान और टावर की उपेक्षा की थी। अहमद का मानना है कि टावर का पूरा होना आकर्षक है और स्थानीय समुदाय इसका स्वागत करता है।

प्रेस एन्क्लेव, राजनीतिक दल कार्यालयों, मिशनरी स्कूलों, कॉलेजों और प्रसिद्ध बाजारों के पास स्थित, लाल चौक का घंटाघर एक जीवंत स्थान रखता है। इस साल की शुरुआत में एक समूह ने घंटाघर पर फिरन फैशन प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसने व्यस्त स्थान के बावजूद काफी ध्यान आकर्षित किया था।

कुल मिलाकर, लाल चौक पर घंटाघर कश्मीर में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और राजनीतिक स्थल के रूप में कार्य करता है, जो अपने जीवंत स्थान के कारण जीवन के सभी क्षेत्रों से आगंतुकों को आकर्षित करने लगा है।
Edited By : Chetan Gour
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