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Last Modified: सोमवार, 28 अक्टूबर 2019 (13:08 IST)

आर्थिक मंदी को लेकर शिवसेना ने मोदी सरकार को घेरा, कहा- 'इतना सन्नाटा क्यों है भाई?'

आर्थिक मंदी को लेकर शिवसेना ने मोदी सरकार को घेरा, कहा- 'इतना सन्नाटा क्यों है भाई?' - Shiv Sena on economic slowdown: 'Itna sannata kyon hai bhai'?
मुंबई। ‘शोले’ फिल्म में रहीम चाचा के डायलॉग ‘.....इतना सन्नाटा क्यों है भाई?’ का इस्तेमाल करते हुए महाराष्ट्र में भाजपा की गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने देश में आर्थिक सुस्ती को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
 
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, ‘‘.....इतना सन्नाटा क्यों है भाई????’’ इस डायलॉग के माध्यम से पार्टी ने देश और महाराष्ट्र में छायी आर्थिक सुस्ती को लेकर सरकार पर निशाना साधा है।
 
‘शोले’ फिल्म में यह डायलॉग रहीम चाचा (एके हंगल) का है जब गब्बर सिंह (अमजद खान) बाहर नौकरी के लिए जा रहे उनके बेटे की हत्या कर उसकी लाश एक घोड़े पर रखकर गांव में भेजता है। उस दौरान सभी गांव वाले एकदम चुप हैं और दृष्टिबाधित खान चाचा सबसे सवाल करते हैं ‘.....इतना सन्नाटा क्यों है भाई??’
 
शिवसेना ने इस डायलॉग के माध्यम से देश में आर्थिक सुस्ती और त्योहारों के मौके पर बाजारों से गायब रौनक के लिए सरकार के नोटबंदी और गलत तरीके से माल एवं सेवा कर (GST) को लागू करने को जिम्मेदार बताया है।
 
उसने सामना में लिखा है कि सुस्ती के डर से बाजारों की रौनक चली गई है और बिक्री 30 से 40 प्रतिशत की कमी आई है। उद्योगों की हालत खराब है और विनिर्माण इकाइयां बंद हो रही हैं, इससे लोगों की नौकरियां जा रही हैं।
 
मराठी ‘सामना’ ने लिखा है कि कई बैंकों की हालत खराब है, वे वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं और लोगों के पास खर्च करने को पैसा नहीं है।
 
‘सामना’ ने लिखा है- ‘‘दूसरी ओर सरकार भी भारतीय रिजर्व बैंक से धन निकालने को मजबूर हुई है। दीवाली पर बाजारों में सन्नाटा छाया है, लेकिन विदेशी कंपनियां ऑनलाइन शॉपिंग साइटों के माध्यम से देश के पैसे से अपनी तिजोरियां भर रही हैं।’’
 
संपादकीय में लिखा है, बेवक्त हुई बारिश के कारण किसानों की तैयार फसल खराब हो गई जिससे उनकी माली हालत खराब है। ‘‘लेकिन बदकिस्मती है कि कोई भी किसानों को इससे बाहर निकालने की नहीं सोच रहा है।’’
 
संपादकीय में दावा किया है गया कि यहां तक कि दिवाली से ऐन पहले हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भी शोर कम और ‘सन्नाटा’ ज्यादा था।