नई दिल्ली। ब्लू व्हेल गेम के कारण देश दुनिया में आत्महत्या के लिए बच्चों को मजबूर होने की घटनाओं के बीच केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूलों से बच्चों को इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के बारे में जानकारी देने के साथ यह सुनिश्चित करने को कहा है कि स्मार्ट मोबाइल फोन, टैबलेट, आईपैड, लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक संचार उपकरणों को स्कूल में लाने की अनुमति नहीं दी जाए।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूलों को डिजिटल टेक्नोलॉजी के सुरक्षित उपयोग को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। बोर्ड ने कहा है कि स्कूलों को प्रभावी पठन-पाठन के लिए सुरक्षित शैक्षणिक माहौल को बढ़ावा देना चाहिए। ऐसे में स्कूलों को अपने परिसरों में आईटी संपन्न उपकरणों के जरिए अनुपयुक्त गतिविधियों को रोकने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।
बोर्ड के दिशा-निर्देश में कहा गया है कि स्कूलों को छात्रों को इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के बारे में जानकारी देनी चाहिए। छात्रों को इंटरनेट के स्वीकार्य उपयोग के नियमों के बारे में जागरूक बनाना चाहिए। स्कूलों में सभी कम्प्यूटरों में प्रभावी फायरवॉल, फिल्टर, निगरानी सॉफ्टवेयर जैसे सुरक्षा उपायों को लगाना सुनिश्चित करना चाहिए। कम्प्यूटर में पैरेंटल कंट्रोल फिल्टर एवं एंटी वायरस अपलोड करना चाहिए।
सीबीएसई के परिपत्र में कहा गया है कि यह सूचित किया जाता है कि दृश्य या श्रव्य सामग्री को संग्रहीत, रिकॉर्ड या प्ले कर सकने में समक्ष स्मार्ट मोबाइल फोन, टैबलेट, आईपैड, लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक संचार उपकरणों को स्कूल या स्कूल बसों में बिना अनुमति के नहीं लाया जाए। स्कूल में प्राचार्य और स्कूल बसों में परिवहन प्रभारी इस बात का ध्यान रखें कि मोबाइल फोन नहीं लाया जा सके।
उल्लेखनीय है कि दुनियाभर में आत्महत्या के लिए मजबूर कर देना वाला मशहूर ब्लू व्हेल गेम इन दिनों काफी चर्चा का विषय बना हुआ है जिसके प्रभाव से बच्चों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं सामने आ रही हैं।
सीबीएसई ने जोर दिया है कि स्कूल और स्कूल बसों में इलेक्ट्रॉनिक संचार उपकरणों के निर्बाध उपयोग पर सख्त पाबंदी है और इनका उल्लंघन किए जाने पर सीबीएसई की ओर से अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सीबीएसई के दिशा-निर्देश में कहा गया है कि स्कूलों को डिजिटल निगरानी तंत्र लगाना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बच्चे ऐसे स्थान पर इंटरनेट का उपयोग करें जो लोगों की नजर में हो। बच्चों की सभी ऑनलाइन शैक्षणिक गतिविधियों की निगरानी की जानी चाहिए।
इसमें कहा गया है कि स्कूलों में बच्चों को उनके आयु वर्ग के हिसाब से इंटरनेट के उपयोग की अनुमति दी जाए। शिक्षकों एवं स्टाफ को इंटरनेट सुरक्षा मानकों के प्रति जागरूक बनाया जाए। इसके साथ ही अभिभावकों को भी इंटरनेट सुरक्षा के बारे में जागृत किया जाए।
बच्चों के स्कूल से जाने के तत्काल बाद यूजरनेम और पासवर्ट को निष्क्रिय कर दिया जाए। कापीराइट का पालन किया जाए और साथ ही किसी तरह के फर्जीवाड़े, भेदभाव और अश्लील सामग्री के किसी भी रूप एवं उपयोग पर रोक लगाई जाए।
बोर्ड के परिपत्र में कहा गया है कि किसी भी लाइसेंस प्राप्त साफ्टवेयर का उपयोग किया जाए। इसके साथ ही स्कूलों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सुरक्षित उपयोग के बारे में मसौदा नीति तैयार करनी चाहिए और इन्हें लागू करना चाहिए। (वार्ता)