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Last Updated : मंगलवार, 3 जनवरी 2017 (13:06 IST)

साइकल पर अखिलेश और मुलायम गुट में जंग जारी, चिन्ह हो सकता है जब्त

साइकल पर अखिलेश और मुलायम गुट में जंग जारी, चिन्ह हो सकता है जब्त - samajwadi party election symbol bicycle
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में हुए तख्तापलट के बाद अब उसके आधिकारिक चुनाव चिह्न 'साइकल' को लेकर शुरू हुई लड़ाई सोमवार को चुनाव आयोग के दरवाजे पर पहुंच गई। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव चुनाव आयोग गए और चुनाव चिन्ह 'साइकल' को लेकर अपना दावा पेश किया। इस मौके पर उनके साथ अमर सिंह, शिवपाल सिंह और जयाप्रदा मौजूद रहे। वहीं, अखिलेश यादव की टीम ने भी मंगलवार सुबह साइकल पर अपना दावा पेश किया। इस बीच मुलायम और अखिलेश में सुलह के प्रयास अभी भी जारी है। 
यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि अखिलेश गुट को 'साइकल' चुनाव चिह्न नहीं मिलता है तो वह 'मोटरसाइकल' को अपना चुनाव चिन्ह बनाएंगे। यदि ऐसा होता है तो पार्टी में विधिवत रूप से दो फाड़ हो जाएगी और फिर आगामी चुनाव में 'साइकल' और 'मोटरसाइकल' में जंग होगी।
 
हालांकि इससे पहले चुनाव आयोग दोनों पक्षों के दावों को परखेगा। अब सारा दारोमदार उसी पर है। कल मुलायम सिंह यादव ने खुद को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताते हुए कहा कि सपा के चुनाव चिह्न  'साइकिल' पर उनका ही स्वाभाविक दावा बनता है। मुलायम ने आयोग से यह भी कहा कि रविवार को रामगोपाल की अगुआई में सपा का विशेष अधिवेशन संविधान के विपरीत है। मुलायम ने पत्रकारों से कहा, 'साइकिल चिह्न हमारा है।' मैं सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं। कोई भी व्यक्ति मुझ पर आरोप नहीं लगा सकता कि  मैंने गलत किया है। मैंने ना तो कभी भ्रष्टाचार किया और ना ही किसी को धोखा  दिया।'
 
मुलायम की दो अगल अलग चिट्ठियां : इस बीच एक निजी चैली की खबर अनुसार मुलायम सिंह की दो चिट्ठियां मिली है, दोनों में उनके साइन अलग-अलग हैं। पहली चिट्ठी में किरण नंदा को निकालने और दूसरी में रामगोपाल यादव को निकालने का आदेश। दोनों की चिट्ठियों पर मुलायम सिंह यादव के अलग-अलग दस्तखत होने की बात कही जा रही है। जिस चिट्ठी पर मुलायम यादव का पूरा नाम लिखा है उसे सही दस्तखत माना जा रहा है जबकि दूसरी को फर्जी। इस मामले में एक न्यूज चैनल से बात करते हुए किरण नंदा ने कहा कि पार्टी में बहुत कुछ चल रहा है। दस्तखत फर्जी हो सकते हैं। पार्टी में फैसला कोई ओर ले रहा है।
 
गौरतलब है कि सपा रविवार को उस समय दो टुकडों में बंट गई थी जब अखिलेश के नेतृत्व वाले खेमे ने अधिवेशन में मुलायम को पार्टी प्रमुख पद से हटा दिया था और अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया था। रामगोपाल द्वारा आहूत अधिवेशन में शिवपाल को पार्टी की राज्य इकाई के पद से  हटा दिया गया था और अमरसिंह को पार्टी से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद मुलायम ने अधिवेशन के कर्ताधर्ता रामगोपाल यादव के साथ-साथ उसमें शिरकत करने वाले पार्टी उपाध्यक्ष किरणमय नंदा और महासचिव नरेश अग्रवाल को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया।