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दुनिया की तबाही का कारण बन सकता है उत्तर कोरिया का यह कदम

दुनिया की तबाही का कारण बन सकता है उत्तर कोरिया का यह कदम - North Korea, nuclear testing, Kim Jong Un
उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रमों के कारण अमेरिका, जापान और अन्य पश्चिमी देशों के लिए किरकिरी बना हुआ है। उत्तर कोरिया ने आर्थिक प्रतिबंधों और सीमित साधनों के बाद भी पांचवां परमाणु परीक्षण किया है। रक्षा मामलों के जानकारों के मुताबिक, उत्तर कोरिया ने जिस आईसीबीएम का परीक्षण किया है वह अलास्का और हवाई द्वीप तक जा सकता है। पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण के साथ ही उत्तर कोरिया ने पांच बार परमाणु परीक्षण किए हैं। 2016 में ही दो बार परमाणु परीक्षण किया। उत्तर कोरिया का दावा है कि आखिरी बार जिसका परीक्षण हुआ, उसे रॉकेट से जोड़ा जा सकता था।
 
चेतावनी के बाद भी उत्तर कोरिया यह कदम उसकी अमेरिका और अन्य देशों से दुश्मनी को बढ़ा रहा है। सनकी तानाशाह किम जोंग उन की यह हरकतें दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध की ओर ले जा सकती हैं। उत्तर कोरिया अमेरिका और दक्षिण कोरिया को अपना दुश्मन मानता है। 
 
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, उत्तर कोरिया अगले दो सालों में अमेरिका पर हमला करने की हालत में हो सकता है। परिणामस्वरूप उत्तर कोरिया के कारण पैदा हुए खतरे से निपटने के लिए अमेरिका और दक्षिण कोरिया मिलकर बल प्रयोग कर सकते हैं। दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच एक सैन्य साझेदारी है जिसके तहत दक्षिण कोरिया की सुरक्षा के लिए 28,500 अमेरिकी सैनिक इलाके में तैनात हैं।
 
आर्थिक प्रतिबंध से भी नहीं माना : उत्तर कोरिया ने न केवल अंतर महाद्वीपीय परमाणु प्रक्षेपास्त्रों (आईसीबीएम्स) का परीक्षण किया है वरन उसने अमेरिका और जापान पर इनसे हमला भी किया है। उत्तर कोरिया अमेरिका पर भी परमाणु हमले करने में सक्षम हो गया है। अमेरिका ने भी माना है कि उत्तर कोरिया ने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम का परीक्षण किया है। आईसीबीएम के परीक्षण का मतलब यह भी है कि इलाके में अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ उत्तर कोरिया से तनाव बढ़ेगा। खासतौर से जापान और दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया के निशाने पर होंगे। 
 
उत्तर कोरिया द्वारा लगातार किए जा रहे परमाणु परीक्षणों से परेशान होकर अमेरिका ने फिर से इस देश पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। इसके बाद भी उसने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है। इसके चलते कई देशों में भूकम्प के झटके महसूस किए गए हैं। 
 
भारत और पाकिस्तान में भी हो सकता है युद्ध : दुनिया का हर परमाणु शक्तिसंपन्न देश अपने दुश्मन को नीचा दिखाने के लिए परमाणु हमले की धमकी देता है। जैसे कि इस्लामिक आतंकवादी देश पाकिस्तान समय-समय पर भारत पर परमाणु हथियार से हमला करने की धमकी देता है। 
 
अगर हकीक़त में भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध शुरू हो जाए तो भारी तबाही मच सकती है। भारत के परमाणु हमले में पूरा पाकिस्तान ही दुनिया के मानचित्र से गायब हो सकता है यानी पाकिस्तान की पूरी आबादी का ही सफाया हो जाएगा।  
 
मिट सकता है अमेरिका का नामोनिशान : रूस और अमेरिका के बीच परमाणु युद्ध होने पर रूस केवल आधे घंटे में ही पूरे अमेरिका का नामोनिशान मिटा सकता है और यही बात रूस पर भी लागू होती है, लेकिन परमाणु हथियारों की विनाशक क्षमता को जानकर ही अमेरिका के बाद कोई देश आज तक इसका इस्तेमाल करने की हिम्मत नहीं जुटा सका है।
 
मिसाइलों का अभ्यास, अमेरिका का इंकार : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में निक्की हेली ने कहा कि अमेरिका के पास 'भरपूर सैन्य ताकत' है और 'अगर जरूरी हुआ तो हम उनका इस्तेमाल करेंगे।' हालांकि निक्की हेली के मुताबिक, अमेरिका का ध्यान अभी उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंधों का घेरा कसने पर है। इसके लिए अमेरिका जल्द ही कोई प्रस्ताव पेश करेगा।
 
इस मामले में दखल देते हुए चीन ने एक बार फिर अमेरिका से उत्तर कोरिया के परीक्षणों पर रोक लगाने के बदले दक्षिण कोरिया और अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यासों को रोकने की बात कही। अमेरिका ने इस मांग को खारिज कर दिया है। दक्षिण कोरियाई लड़ाकू विमानों और नौसैनिक जहाजों से कई मिसाइलें अभ्यास के तहत दागी गईं। दक्षिण कोरियाई नौसेना का कहना है कि इस अभ्यास में 15 जहाजों ने हिस्सा लिया जिसमें हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमानों के साथ 32000 टन का विध्वंसक जहाज भी शामिल था। 
  
तो अमेरिका नहीं चाहता विश्वयुद्ध : चीन, रूस और ईरान अब एशिया के क्षेत्र में अमेरिका के एकाधिकार को चुनौती दे रहे हैं और अब विश्व राजनीति में आज अमेरिका जहां खड़ा है, वहां आज से एक शताब्दी पहले ब्रिटेन हुआ करता था और चीन वहां खड़ा है, जहां अमेरिका हुआ करता था। ये सभी देश अमेरिका को याद दिलाना चाहते हैं कि यदि अमेरिका समय रहते नहीं चेता तो उत्तर कोरिया उसके लिए पर्ल हार्बर बन जाएगा और इस समय अमेरिका किसी भी प्रकार से विश्वयुद्ध जैसी स्थिति में नहीं पड़ना चाहता।
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