परमाणु और हाइड्रोजन परीक्षण से दोस्त चीन भी भड़का
बीजिंग/ मॉस्को। उत्तर कोरिया द्वारा 3 सितंबर 2017 को किए गए परमाणु परीक्षण से अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस ही नहीं बल्कि अब उसका घनिष्ठ सहयोगी चीन भी भड़क गया है। चीन सरकार ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताया एवं इसकी कड़ी निंदा की।
एक ओर चीन ने जहां उसे परमाणु हथियार कार्यक्रम की अंतरराष्ट्रीय निंदा की अनदेखी करने के लिए आड़े हाथों लिया वहीं चीनी विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर डाले गए एक बयान में कहा कि उत्तर कोरिया ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के व्यापक विरोध की अनदेखी करते हुए दोबारा परमाणु परीक्षण किया। चीन सरकार इसे लेकर कड़ा विरोध जताती है एवं इसकी कड़ी निंदा करती है।
इसमें कहा गया कि उत्तर कोरिया से परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दृढ़ मनोबल का सामना करने, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों का पूरी ईमानदारी से पालन करने, स्थिति को बिगाड़ने वाली तथा स्वहित विरोधी गलत कार्रवाइयों पर रोक लगाने की और वार्ता के जरिए समस्या के हल के रास्ते पर प्रभावी ढंग से लौटने का तरीका अपनाया जाए।
यह उत्तर कोरिया का 6ठा परीक्षण था और पूर्व में किए गए किसी भी परीक्षण से ज्यादा ताकतवर था। उत्तर कोरिया ने परीक्षण को पूरी तरफ से सफल करार दिया। वह इसे हाइड्रोजन बम का परीक्षण बता रहा है।
चीन उत्तर कोरिया का प्रमुख कूटनीतिक सहयोगी और आर्थिक भागीदार है। दक्षिण कोरिया की मौसम एजेंसी ने अनुमान लगाया कि इस परमाणु परीक्षण से निकली ऊर्जा 50 से 60 किलोटन के बीच थी या उत्तर कोरिया द्वारा सितंबर 2016 में किए गए 5वें परमाणु परीक्षण से 5 से 6 गुना ज्यादा शक्तिशाली था। यह उत्तर कोरिया द्वारा ऐसी परमाणु मिसाइल क्षमता हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे वह अमेरिका में कहीं भी हमला करने में सक्षम हो।
उत्तर कोरिया की ओर से हाइड्रोजन बम का परीक्षण किए जाने से नाराज रूस के विदेश मंत्रालय ने मॉस्को में कहा कि प्योंगयांग ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रावधानों और अंतरराष्ट्रीय कानून के कायदों का उल्लंघन कठोरतम निंदा के लायक है।
मंत्रालय ने कहा कि उसे अफसोस है कि उत्तर कोरिया का नेतृत्व क्षेत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। उसने चेतावनी दी कि ऐसी हरकत जारी रखने के प्योंगयांग के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
एक बयान में मंत्रालय ने कहा कि पैदा हो रही स्थितियों में शांति जरूरी है और किसी ऐसी कार्रवाई से बचने की जरूरत है जिससे तनाव बढ़ता हो। रूस ने इस मामले से जुड़े सभी पक्षों से अपील की कि वे वार्ता मेज पर लौटें, क्योंकि बातचीत से ही कोरियाई प्रायद्वीप की समस्याओं का समाधान हो सकता है। (भाषा)