घर में असली परीक्षा, क्या गुजरात में चलेगा मोदी का जादू...
गुजरात में चुनाव सिर पर है और मोदीजी है कि नोटबंदी का एक वर्ष पूर्ण होने पर जश्न की तैयारी कर रहे हैं। पहले नोटबंदी और फिर जीएसटी की मार से गुजरात के व्यापारी भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। मोदीजी और भाजपा तो यह मानकर चल रहे हैं कि नोटबंदी और जीएसटी दोनों ही पूरी तरह सफल रहे हैं। ऐसे में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि उन्हें इस बार भी गुजरात की जनता का आशीर्वाद पहले की तरह ही मिलेगा या यहां से मोदी लहर के बुरे दिन शुरू हो जाएंगे।
गुजरात और मोदी दोनों ही एक-दूसरे के पूरक है। जिस तरह गुजरात के बिना मोदी अधूरे हैं उसी तरह मोदी के बिना भी गुजरात अधूरा है। 2012 में यहां ऐसी लहर चली कि उसने मोदीजी को गुजरात ही नहीं देश की राजनीति में सबसे सशक्त नेता के रूप में स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
ऐसे में टीम मोदी को हर हाल में यहां बड़ी जीत की दरकार है। ऐसी जीत जो आलोचकों की मुंह पर ताला लगा दे, ऐसी जीत जो भाजपा कार्यकर्ताओं के विश्वास को बढ़ा दे, ऐसी जीत जो देश की राजनीति में कांग्रेस की वापसी की सारी उम्मीदों को ध्वस्त कर दें।
मोदीजी भी अब विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस चुके हैं। गुजरात में उन्होंने नई विकास योजनाओं का अंबार लगा दिया है। चाहे कच्छ हो या सौराष्ट्र या फिर दक्षिण गुजरात सभी दूर मोदी ने विकास मंत्र फूंक दिया गया है। इतना ही नहीं सर्वेक्षणों में भी यहां मोदी की बयार चलती दिखाई दे रही है।
ऐसा प्रतीत हो रहा है मानों यहां भाजपा के समर्थन में फिल 'गुड फैक्टर' काम कर रहा है और 'गुजरात शाइनिंग' के रास्ते 2019 के चुनाव में एक बार फिर देश मोदी सरकार की और बढ़ रहा है। हालांकि यह सब उतना आसान नहीं है। मोदीजी इस बार बहुत कठिन है डगर पनघट की।
हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर के रूप मोदी सरकार से नाराज चल रही जातियों के नेता कांग्रेस के रूप में लामबंद होते नजर आ रहे हैं। इन लोगों में भाजपा के स्थानीय नेताओं के प्रति जबरदस्त नाराजगी है। इनमें से अधिकांश जातियों का मतदाता भाजपा का परंपरागत वोटर रहा है।
मोदी के बाद गुजरात में आनंदी बेन पटेल और विजय रुपाणी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। दोनों ही नेता मोदी के काम को आगे बढ़ाने में ज्यादा सफल नहीं हो सके। अमित शाह भी मोदी के बाद केंद्र की राजनीति में चले गए और भाजपा में अंदरुनी कलह तेज हो गई। इस बात से भी यहां के लोग खासे नाराज है।
बहरहाल यहां की राजनीति ही अब प्रधानमंत्री मोदी के आगे के सफर की दिशा तय करेगी। मोदीजी का विकास यहां जीत गया तो देश में आने वाले समय में विकास की गंगा बहती दिखाई देगी और अगर इसमें सेंध लगी तो विकास के पागल होने में देर नहीं लगेगी।