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Last Modified: रविवार, 16 दिसंबर 2018 (14:11 IST)

2019 पर नजर, महाराष्ट्र सरकार की प्याज उत्पादकों को लुभाने की कोशिश

2019 पर नजर, महाराष्ट्र सरकार की प्याज उत्पादकों को लुभाने की कोशिश - Maharashtra Government
नई दिल्ली। तीन प्रमुख हिन्दीभाषी राज्यों में कृषि क्षेत्र के संकट के कारण भाजपा की हार को देखते हुए पार्टी नीत महाराष्ट्र सरकार प्याज उत्पादक किसानों को घटती कीमतों से राहत देने के लिए सहायता अनुदान राशि तथा परिवहन सब्सिडी जैसे तमाम उपाय करने पर विचार कर रही है।
 
 
हालिया विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ग्रामीण इलाकों में हार का सामना करना पड़ा है और केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी वर्ष 2019 के आम चुनावों से पहले कृषि समस्याओं को हल करने के उपयुक्त समाधान की तलाश में है।
 
महाराष्ट्र देश के प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में से है और केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही प्याज संकट को समाप्त करना चाहती हैं, क्योंकि विपक्षी दलों ने संसद के चालू शीतकालीन सत्र में सत्तारूढ़ पार्टी को घेरने के लिए कृषि संकट के मुद्दे को उठाने का फैसला किया है।
 
सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार केंद्रीय योजना 'ऑपरेशन ग्रीन' के तहत सहायता अनुदान और परिवहन सब्सिडी जैसे उपायों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। 'ऑपरेशन ग्रीन' अपेक्षाकृत एक नई योजना है जिसे केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है जिसके पास 500 करोड़ रुपए का कोष है। यह कोष टमाटर, प्याज और आलू के मूल्य में अनियमित उतार-चढ़ाव के समय किसानों की सहायता करने के मकसद से बनाया गया है।
 
सूत्रों ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के प्याज उत्पादकों के लिए विशेष तौर पर भंडारित किए गए प्याज उपभोक्ता राज्यों को बेचने के लिए केंद्रीय योजना के तहत परिवहन सब्सिडी लेने के बारे में विचार कर रही है, साथ ही सरकार प्रभावित उत्पादकों की क्षतिपूर्ति के लिए सहायता अनुदान पर भी गौर कर रही है।
 
एक ही समय में संग्रहीत प्याज के साथ-साथ भारी मात्रा में ताजा खरीफ फसल आने के कारण महाराष्ट्र में प्याज की कीमतें दबाव में आ गई हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक खराब प्याज के कारण भंडारित प्याज के लिए थोक मूल्य कम हो रहा है जबकि ताजा खरीफ फसल पर करीब 10 रुपए प्रति किलो प्राप्त हो रहे हैं।
 
एक सूत्र ने कहा कि नवंबर में राज्य में थोक मंडियों में आने वाले प्याज का 50 प्रतिशत हिस्सा अधिकतर भंडारित प्याज का था। इनका मूल्य 3.50 से 4 रुपए प्रति किलो के बीच था जिसके कारण किसानों के बीच आक्रोश पैदा हुआ। सूत्रों ने बताया कि राज्य में अधिक मात्रा में भंडारित किए गए प्याज का संग्रह है, क्योंकि किसानों ने बेहतर मूल्य प्राप्त होने की उम्मीद में फसल वर्ष 2017-18 के रबी सत्र में इस फसल की खेती के रकबे को बढ़ा दिया था।
 
संकट तब और बढ़ गया, जब चालू फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) में खरीफ प्याज उत्पादन महाराष्ट्र में पिछले वर्ष के 19 लाख टन के स्तर के लगभग ही होने की उम्मीद की जा रही है। ऐतिहासिक रूप से प्याज राजनेताओं के लिए दु:स्वप्न पैदा करने वाली सब्जी रही है, जो 1980 के दशक से चुनाव परिणामों को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। अतीत में प्याज संकट के कारण कई सरकारें गिरी हैं।
 
मई 2014 में केंद्र में नरेन्द्र मोदी की अगुआई वाली भाजपा सरकार के पूरे धूम के साथ सत्ता में आने के बाद से पार्टी लगातार चुनाव जीतती रही है। मोदी के प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद से 3 प्रमुख हिन्दीभाषी राज्यों- मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हार भगवा पार्टी की पहली बड़ी हार है। (भाषा)
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