लखनऊ। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से कराने की संस्तुति की गई है।
अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु मामले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की गई है। गौरतलब है कि महंत नरेंद्र गिरि ने सोमवार को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी।
तीसरा आरोपी गिरफ्तार : अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की कथित आत्महत्या मामले में तीसरे आरोपी संदीप तिवारी को पुलिस ने बुधवार की शाम गिरफ्तार कर लिया।
जॉर्ज टाउन थाने के प्रभारी निरीक्षक महेश सिंह ने संदीप तिवारी को बुधवार की शाम गिरफ्तार किए जाने की पुष्टि की। हालांकि उन्होंने गिरफ्तारी का समय और स्थान बताने से इनकार किया।
महंत नरेंद्र गिरि के मामले में दो अन्य आरोपियों आनंद गिरि और आद्या प्रसाद तिवारी को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया और बुधवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया।
अदालत ने इन दोनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। घटनास्थल से बरामद कथित सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा था कि मैं बहुत दुखी होकर आत्महत्या कर रहा हूं। मेरी मौत की जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी की होगी। आनंद गिरि, महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य हैं, जबकि आद्या प्रसाद तिवारी बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी हैं।
योगी को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं : कांग्रेस ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की कथित आत्महत्या के मामले को लेकर बुधवार को उत्तरप्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधा और कहा कि अगर भगवा पहनने वाले साधु भी सुरक्षित नहीं हैं तो फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया कि भाजपा सरकार इस मामले पर पर्दा डालने के लिए व्याकुल नजर क्यों आ रही है?
सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि जिस तरह से रहस्यमय परिस्थिति में महंत जी की मृत्यु हुई, इसमें से एक षड़यंत्र की बू आती है। ये मैं नहीं कह रहा, वेदांती जी, जो भाजपा के भी सांसद रहे हैं, उन्होंने ये कहा कि ये आत्महत्या नहीं, हत्या है।
उन्होंने सवाल किया, क्या उत्तर प्रदेश के सारे संत और महंत साधु अपने आप को असुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं? क्या ये हत्या है या आत्महत्या, इस षड़यंत्र की जांच नहीं होनी चाहिए? क्या मुख्यमंत्री आदित्यनाथ जी बताएंगे कि महंत जी ने आदित्यनाथ सरकार से और अखाड़ा परिषद की ओर से कोई पत्राचार किया था?
कांग्रेस महासचिव ने यह पूछा, क्या किसी ने महंत जी की गाड़ी को टक्कर मारकर उन्हें शारीरिक तौर से नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया था? क्या ये सारे तथ्य एक आदरणीय महंत और संत की मृत्यु को संदेह के घेरे में नहीं ला देते? भाजपा की सरकार इस पूरे मामले पर पर्दा डालने के लिए व्याकुल क्यों है?
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जी को इन सवालों के जवाब देने चाहिए। अगर भगवा पहनने वाले साधु सुरक्षित नहीं, तो फिर आदित्यनाथ जी को सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं।