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सीमा क्षेत्रों में पलायन से सरकार चिंतित

सीमा क्षेत्रों में पलायन से सरकार चिंतित - LoC, India's border area, firing
श्रीनगर। पाकिस्तान से लगती 1202 किमी लम्बी एलओसी व अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे भारतीय गांवों से सुरक्षित स्थानों की ओर बड़ी संख्या में लोगों द्वारा पलायन किए जाने से राज्य सरकार चिंतित है। अपनी इस चिंता से उसने केंद्र को भी अवगत करवाया है क्योंकि सीमा क्षेत्र में शांति व सुरक्षा का माहौल बनाए रखना केंद्र के दायरे में आता है।
1202 किमी लम्बी पाक सीमा, जो जम्मू कश्मीर से गुजरती है, से सटे भारतीय गांवों से पलायन का सबसे बड़ा कारण पाक सैनिकों द्वारा जाने वाली अकारण गोलीबारी तथा गोलाबारी तो है ही, साथ ही में भारतीय पक्ष द्वारा इस गोलीबारी का भरपूर उत्तर न देना भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
 
हालांकि पाक सेना एलओसी पर सीजफायर के बावजूद पिछले कई सालों से ही अकारण गोलीबारी की छिटपुट हरकतें किए जा रही है मगर अब उसके द्वारा इसमें जो तेजी लाई गई है उसने सीमा पर रहने वाले भारतीयों का जीना हराम कर दिया है। परिणामस्वरूप गोलियों व गोलों की बरसात में जो जान बचाने की दौड़ लगी है उसमें सभी अपनी सुरक्षा के प्रति चिंतित हैं और इसी चिंता का परिणाम है कि सीमावर्ती क्षेत्रों से सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन का क्रम जोर पकड़ रहा है।
 
अभी तक पलायन की प्रक्रिया से एलओसी के क्षेत्र ही त्रस्त थे मगर जम्मू बार्डर के क्षेत्रों में भी अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर पाक सैनिकों द्वारा की जाने वाली गोलीबारी के बाद इन इलाकों से भी लोग पीछे की ओर हटने आरंभ हो गए हैं। वैसे इन इलाकों से हटने वाले लोग कुछ दिनों के उपरांत अपने घर-बाहर को देखने तो चले जाते हैं परंतु एलओसी से पलायन करने वालों को ऐसा अवसर नहीं मिल पा रहा है।
 
रक्षा विशेषज्ञ भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में पाक सैनिकों ने गोलीबारी का क्रम जारी रखकर जो दहशत का माहौल बनाया हुआ है उससे आम जनता में असुरक्षा की भावना भी पैदा हुई जो पलायन के रूप में सामने आ रही है। हालांकि वे इससे भी इंकार नहीं करते कि इसके लिए भारत सरकार द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में होने वाले पाक हमलों के प्रति अपनाई जाने वाली लचीली नीतियां ही जिम्मेदार हैं।
 
ताजा अनुमान के अनुसार, सिर्फ 264 किमी लम्बे जम्मू बार्डर के 200 से अधिक गांवों के 33 हजार परिवार अस्थाई पलायन की प्रक्रिया को प्रतिदिन दोहराने को मजबूर हैं जो रात काटने के लिए सुरक्षित क्षेत्रों में चले जा रहे हैं तो दिन के उजाले में हालांकि अपने घरों में वापस लौट तो रहे हैं मगर पाक गोलियों का साया उनके सिरों पर ही मंडरा रहा है, जबकि करीब 1000 परिवारों ने बार्डर से सटे गांवों से पलायन कर पीछे के गांवों में अपने सगे-संबंधियों के जहां डेरा लगाया है। ऐसे ही एक पलायन करने वाले रघुवीर सिंह का कहना था, अगर सरकार हमें सुरक्षा प्रदान करे तो अपना घर-बाहर छोड़ने को हमें मजबूर न होना पड़ता।
 
सनद रहे कि राज्य सरकार ने स्वीकार किया है कि सिर्फ अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों की करीब 98000 कनाल भूमि में भारतीय किसान एक साल से कोई फसल नहीं उगा पाए हैं तो करीब इतनी ही भूमि पर जो फसल बोई गई है उसे काटना इन किसानों के लिए कठिन हो गया है। यह सब पाक गोलीबारी के कारण हो रहा है, कोई भी इस सच्चाई से अनभिज्ञ नहीं है।
 
ठीक इसी प्रकार की स्थिति से आज एलओसी के नागरिक भी त्रस्त हैं, अंतर सिर्फ इतना है कि एलओसी के क्षेत्रों में पाक गोलीबारी का स्तर अधिक होने के कारण भारतीय किसान कई-कई सालों से अपने खेतों में ही नहीं जा पाए हैं जो आज पाक गोलियों से प्रतिदिन छलनी होते हैं।  
 
नतीजतन पेट पालने तथा पशुओं के चारे का प्रबंध न कर पाने की मजबूरी सीमा क्षेत्रों में रह रहे लोगों को पलायन करने पर मजबूर कर रही है जो राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय भी बना हुआ है।
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