AAP की आंधी में मनीष सिसोदिया भी किनारे लग गए?
संयोग या प्रयोग: अरविंद केजरीवाल मजबूत होंगे लेकिन AAPके संस्थापक सदस्य किनारे होते गए
दिल्ली में शराब घोटाले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के सलाखों के पीछे जाने और मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अब आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने आगे बढ़ने का एलान कर दिया है। वहीं दूसरी ओर भाजपा और कांग्रेस मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है।
आम आदमी पार्टी के नंबर-2 की हैसियत वाले मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद आदमी पार्टी की अंदरूनी सियासत तेजी से करवट ले रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को पार्ट के नेताओं और विधायकों के साथ बदले राजनीतिक हालात पर चर्चा की और उसके बाद मीडिया से बात की। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पंजाब में जीत के बाद भाजपा आम आदमी पार्टी को रोकने चाह रही है लेकिन आम आदमी पार्टी एक आंधी है जो अब रुकने वाली नहीं है। आम आदमी पार्टी का वक्त आ गया है और उसको कोई रोक नहीं सकता।
शराब घोटाले में फंसे मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर उनके इस्तीफा देने को लेकर सियासी गलियारों में कई तरह से देखा जा रहा है। सवाल इस लिए भी उठ रहे है क्योंकि जिस शराब घोटाले को आम आदमी पार्टी सिरे से नाकरती आई थी आखिरी उस मामले में सिसोदिया की सीबीआई गिरफ्त में जाने के बाद ही क्यों इस्तीफ ले लिया गया। वह भी तब जब दूसरे मंत्री सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप में तिहाड़ में बंद होने के बाद भी कई महीनों तक इस्तीफा नहीं दिया।
मनीष सिसोदिया के इस्तीफे को जहां एक ओर केजरीवाल की स्वच्छ राजनीति के दांव से जोड़कर देखा जा रहा है वहीं कांग्रेस की सीनियर नेता अलका लंबा के एक ट्वीट ने पूरे मामले को नई हवा दे दी है। कांग्रेस नेता अलका लांबा ने कहा कि केजरीवाल सिसौदिया को बहुत पहले से ही निपटाने की फ़िराक़ में थे, पर कुछ यूँ भ्रष्टाचार में फंसा कर निपटाएगें सोचा नहीं था।
दरअसल भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए गए अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी में मनीष सिसोदिया ही वह आखिरी व्यक्ति थे जो आंदोलन के समय से पार्टी की स्थापना से अब तक अरविंद केजरीवाल के साथ चले आ रहे थे। इसे भी संयोग कहेंगे या राजनीति की चाल की जैसे-जैसे आम आदमी पार्टी का ग्राफ बढ़ता गया वैसे उसके संघर्ष के दिनों के साथ किनारे होते गए।
अन्ना आंदोलन के दौरान अरविंद केजीरवाल ने 2012 में आम आदमी पार्टी का गठन किया और 2015 में दिल्ली में ऐतिहासिक बहुमत के साथ पहली बार सत्ता में काबिज हुई। सत्ता में काबिज होते ही अरविंद केजरीवाल पर उनके ही साथियों ने अकेले फैसले लेने जैसे गंभीर आरोप लगाए। नतीजा यह हुआ है कि पार्टी गठन के समय अरविंद केजरीवाल के साथी रहे योगेंद्र यादव, शांति भूषण,प्रशांत भूषण,कुमाऱ विश्वास,किरण बेदी,शाजिया इल्मी, आशुतोष और आशीष खेतान जैसे लोग एक-एक कर उनका साथ छोड़ते चले गए।
पत्रकारिता से अन्ना आंदोलन में शामिल हुई शाजिया इल्मी ने पार्टी छोड़ने का कारण पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव होना बताया था और उनके निशाने पर सीधे अरविंद केजरीवाल थे। वहीं दिल्ली में 2015 में सरकार बनाने के बाद योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। केजरीवाल के संघर्ष दिनों के साथ जो एक-एकर केजरीवाल से अलग हो रहे थे वहां पार्टी छोड़ने के पीछे केजरीवाल को ही जिम्मेदार ठहरा रहे थे। अरविंद केजरीवाल के सबसे करीबी और खुद को केजरीवाल का छोटा भाई बताने वाले कुमार विश्वास ने जब आप को अलविदा कहा तो उन्होंने भी इसके लिए अरविंद केजरीवाल को ही जिम्मेदार ठहराया था।
जहां एक ओर कई दिग्गज चेहरे केजरीवाल का साथ छोड़ते जा रहे थे वहीं मनीष सिसोदिया पूरी मजबूती के साथ अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े थे। अरविंद केजरीवाल जहां आम आदमी पार्टी का दिल्ली के बाहर विस्तार कर रहे थे वहीं मनीष सिसोदिया आप के चाणक्य की भूमिका में उस दिल्ली मॉडल को जमीनी स्तर पर सफलता पूर्वक लागू करने का प्लान तैयार कर रहे थे जो आम आदमी पार्टी के विस्तार में ट्रंप कार्ड साबित हो रहा था।
वहीं अब जब आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल चुका है और पार्टी की दो राज्यों में सरकार है तब मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद आम आदमी पार्टी की पूरी जिम्मेदारी अरविंद केजरीवाल के कंधों पर आ गई है। वहीं केजरीवाल ने फिलहाल दिल्ली में किसी को उपमुख्यमंत्री नहीं बनाने का इशारा कर बहुत कुछ संकेत भी दे दिए है।