बुकिंग, कैंसिलेशन और रिफंड के नाम पर कैसे यात्रियों को फंसाती हैं एयरलाइंस, क्या है फायदे और नुकसान का खेल?
बुकिंग, कैंसिलेशन और रिफंड के नाम पर एयरलाइंस यात्रियों को बहुत स्मार्ट तरीके से फंसाती हैं। एयरलाइंस हर चीज में अपना फायदा देखती है, इसके लिए वो किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। हाल ही में इंडिगो संकट के बीच कई रिपोर्ट में यह सामने आ रहा है कि आखिर कैसे एयरलाइंस यात्रियों को फंसाती है और यात्री ठगे से रह जाते हैं।
क्या है पूरा खेल : बता दें कि हवाई सफर की तैयारी कर रहे हर यात्री के मन में आजकल एक ही डर बैठा है, क्या मेरी फ्लाइट उड़ेगी? आपके मोबाइल की स्क्रीन पर एयरलाइन का ऐप यह बताता है कि फ्लाइट टाइम पर है। आप निश्चिंत होकर घर से निकलते हैं, ट्रैफिक से जूझते हुए एयरपोर्ट पहुंचते हैं और सुरक्षा जांच की लंबी कतारों में लगते हैं। लेकिन बोर्डिंग गेट पर पहुंचते ही जो खबर मिलती है कि जिस फ्लाइट को समय पर बताया जा रहा था, वह अचानक रद्द कर दी गई है। यह कहानी सिर्फ एक या दो यात्रियों की नहीं, बल्कि पिछले कुछ दिनों में देश के हजारों लोगों की बन चुकी है।
भारत की सबसे भरोसेमंद मानी जाने वाली एयरलाइन इंडिगो (IndiGo) इन दिनों अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। तकनीकी भाषा में इसे नेटवर्क डिसरप्शन कहा जा सकता है, लेकिन आम यात्री के लिए यह मानसिक प्रताड़ना और खुली लूट से कम नहीं है।
यात्रियों को ऐसे फंसाती है फ्लाइट
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मोबाइल पर फ्लाइट को टाइम पर दिखाया जाता है, जिससे यात्री एयरपोर्ट पहुंच जाता है।
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एयरपोर्ट पर पहले 2 घंटे की देरी बताना, जिससे खाना न देना पड़े।
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इसके बाद 4 घंटे की देरी बताना, जिससे होटल न देना पड़े।
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आखिर में फ्लाइट कैंसल, तो अब यात्री क्या करे।
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ऐसे में यात्री खुद परेशान होकर टिकट कैंसल कर देता है, जिससे कंपनी को रिफंड नहीं देना पड़ता है।
कैंसिलेशन और रिफंड का खेल
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अगर एयरलाइल पहले बताए कि फ्लाइट कैंसल है तो कंपनी को देना पड़ता है 100% रिफंड। इसमें कंपनी का घाटा है।
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अगर यात्री खुद टिकट कैंसल करे तो कटेंगे कैंसिलेशन चार्ज। इससे कंपनी को फायदा है।
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किश्तों में देरी बताई जाती है, जिससे लंच या डिनर का खर्चा बचता है।
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रात को एयरपोर्ट पर रोकते हैं, जिससे होटल का लाखों का बिल बचता है।
Edited By: Navin Rangiyal