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Last Modified: शनिवार, 1 अगस्त 2020 (17:21 IST)

नई उद्यम नीति लाएगी सरकार, रणनीतिक क्षेत्रों की बनेगी सूची

नई उद्यम नीति लाएगी सरकार, रणनीतिक क्षेत्रों की बनेगी सूची - Government will bring new enterprise policy, list of strategic areas will be made
नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार कहा कि सरकार जल्द ही सार्वजनिक क्षेत्र की एक नई उद्यम नीति लाएगी, जो रणनीतिक क्षेत्रों को परिभाषित करेगी। सरकार घोषणा कर चुकी है कि किसी भी रणनीतिक क्षेत्र में 4 से अधिक सार्वजनिक उपक्रम नहीं होंगे।

सीतारमण ने कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए मई में घोषित ‘आत्मनिर्भर भारत’ राहत पैकेज में कहा था कि रणनीतिक क्षेत्र की नई परिभाषा के तहत इस दायरे में सार्वजनिक क्षेत्र की अधिकतम 4 कंपनियां होंगी। रणनीतिक क्षेत्रों में चार के अतिरिक्त सरकारी कंपनियों का अंततः निजीकरण किया जाएगा।

उन्होंने रणनीतिक क्षेत्रों की सूची के बारे में पूछे जाने पर कहा, हम इस पर काम कर रहे हैं, इसे जल्द ही मंत्रिमंडल के पास भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रणनीतिक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में अधिकतम चार सार्वजनिक उपक्रम तय करने के विभिन्न मॉडल हो सकते हैं। या तो उनका आपस में विलय कर दिया जाएगा, या उन्हें इस तरह से एक साथ लाया जाएगा कि हर क्षेत्र में केवल चार या उससे कम सरकारी कंपनियां हों।

रणनीतिक क्षेत्रों की सूची अधिसूचित की जाएगी। इनमें निजी कंपनियों के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के कम से कम एक और अधिकतम चार सार्वजनिक उद्यम होंगे। अन्य क्षेत्रों में व्यवहार्यता के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उद्यमों (सीपीएसई) का निजीकरण किया जाएगा।

वित्तमंत्री ने पैकेज की घोषणा करते हुए कहा था, हम एक पीएसई नीति की घोषणा करना चाहते हैं, जैसा कि एक आत्मनिर्भर भारत को एक सुसंगत नीति की आवश्यकता है। सभी क्षेत्रों को निजी क्षेत्रों के लिए भी खोला जाएगा।उन्होंने कहा, पीएसई परिभाषित क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। हमें एक सुसंगत नीति की आवश्यकता है, क्योंकि कभी-कभी आप कुछ क्षेत्रों को टुकड़ों में खोलते हैं।

उन्होंने कहा, अब हम उन क्षेत्रों को परिभाषित करेंगे, जहां उनकी उपस्थिति प्रभावपूर्ण रूप से महसूस होगी।अगले हफ्ते रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक से अपेक्षाओं के बारे में पूछे जाने पर वित्तमंत्री ने कहा कि इस बारे में निर्णय आरबीआई को लेना है।

अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि यह निश्चित रूप से कठिनाई से बाहर आने की कोशिश कर रहा है, लेकिन महामारी से जुड़ी अनिश्चितता के कारण इस समय पूरी तस्वीर खींचना मुश्किल होगा। देश के कई हिस्सों में महामारी के कारण मूल्य श्रृंखलाएं बाधित हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विभिन्न हितधारकों के साथ नियमित रूप से बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए सभी विकल्प खुले रखे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार मापदंडों को लेकर सतर्क है, लेकिन अर्थव्यवस्था को एक ऐसे स्तर पर लाने की कोशिश की जा रही है, जहां हर क्षेत्र महामारी को फैलने से रोकने और उबरने का प्रयास करे।

सीतारमण ने कहा, उम्मीद है कि यह भावना अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद करेगी। आरबीआई उद्योग जगत को तरलता मुहैया करा रहा है और महंगाई की निगरानी के अलावा उसने आर्थिक वृद्धि को भी ध्यान में रखा है। अर्थव्यवस्था को इससे फायदा होगा।
बैंकों के निजीकरण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार ने केवल आईडीबीआई बैंक के निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। सरकार के पास अभी आईडीबीआई बैंक की 46.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। जनवरी 2019 में, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने बैंक में 51 प्रतिशत नियंत्रण हिस्सेदारी का अधिग्रहण पूरा किया। एलआईसी ने बैंक में 21,624 करोड़ रुपए का निवेश किया।(भाषा)
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