जयपुर/भोपाल/मुंबई/नई दिल्ली। संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत के खिलाफ राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में सोमवार को विरोध प्रदर्शन हुआ। वहीं करणी सेना ने 25 जनवरी को फिल्म के प्रदर्शन से पहले इसे देखने की इच्छा का संकेत दिया।
इस बीच, उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार की उस याचिका पर कल सुनवाई करने पर सहमति जता दी, जिसमें देशभर के सिनेमाघरों में विवादास्पद बॉलीवुड फिल्म पद्मावत के प्रदर्शन की अनुमति देने के उसके 18 जनवरी के आदेश को वापस लेने की मांग की गई है। दोनों राज्य सरकारों ने इस आधार पर शीर्ष अदालत से अपना पिछला आदेश वापस लेने की मांग की है कि इससे इन राज्यों में कानून व्यवस्था की समस्या पैदा होगी।
शीर्ष अदालत ने फिल्म के प्रदर्शन पर गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को गत 18 जनवरी को हटाकर 25 जनवरी को देशभर में इसे प्रदर्शित किए जाने का रास्ता साफ कर दिया था। न्यायालय ने दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर अभिनीत इस फिल्म को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी करने से अन्य राज्यों को भी रोक दिया था। यह फिल्म महाराजा रतन सिंह और उनकी मेवाड़ की सेना तथा दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के बीच 13वीं शताब्दी में हुई ऐतिहासिक लड़ाई पर आधारित है।
इस बीच, फिल्म के प्रदर्शन का विरोध कर रहे दो संगठनों राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना और अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने भी उच्चतम न्यायालय का रुख किया और खुद को पक्षकार बनाने की मांग की। वे इस आधार पर फिल्म के प्रदर्शन का विरोध कर रहे हैं कि यह समुदाय की भावनाओं को आहत करती है।
इधर, फिल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन सोमवार को भी जारी रहा। राजस्थान में प्रदर्शनकारियों ने राजसमंद और बाड़मेर में राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया। वहीं भीलवाड़ा में एक युवक विरोध का इजहार करने के लिए एक मोबाइल फोन टावर पर चढ़ गया।
मध्य प्रदेश के इंदौर, उज्जैन और झाबुआ जैसे शहरों में भी प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर दी, जबकि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर में लोगों ने भगवा झंडा लहराया और एक सिनेमा हॉल के सामने बॉलीवुड निर्देशक भंसाली का पुतला दहन किया।
इस पीरियड ड्रामा का जोरदार विरोध जारी रहने के बीच हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने इस फिल्म को दिखाने वाले सिनेमाघरों को सुरक्षा मुहैया कराने का वादा किया।
उधर, राजस्थान सरकार ने मेवाड़ के राजघराने और करणी सेना को उसकी ओर से शीर्ष अदालत के पिछले आदेश में संशोधन की मांग करने के लिए दायर याचिका में पक्षकार बनने के लिए आमंत्रित किया। शीर्ष अदालत ने अपने 18 जनवरी के आदेश के जरिए फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध को हटाकर देशभर में इसे प्रदर्शित किए जाने का रास्ता साफ कर दिया था।
विवाद जारी रहने के बीच, राजपूत करणी सेना ने कहा कि वह फिल्म को देखने के लिए तैयार है। भंसाली प्रोडक्शंस ने गतिरोध को समाप्त करने के प्रयास के तहत करणी सेना को प्रदर्शन से पहले फिल्म देखने की पेशकश की है।
करणी सेना के नेता लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा, हम फिल्म देखने के लिए तैयार हैं। हमने कभी नहीं कहा कि हम फिल्म नहीं देखेंगे। फिल्मकार ने हमें एक साल पहले आश्वासन दिया था वह विशेष स्क्रीनिंग आयोजित करेंगे और अब उन्होंने स्क्रीनिंग के लिए हमें पत्र लिखा है और हम इसके लिए तैयार हैं। भंसाली प्रोडक्शंस ने 20 जनवरी को राजपूत करणी सेना और राजपूत सभा, जयपुर को पत्र लिखकर उन्हें फिल्म देखने का न्योता दिया था। उसने आश्वासन दिया था कि फिल्म में राजपूतों के सम्मान और शौर्य को दिखाया गया है।
फिल्म देखने को तैयार होने की बात कहने के बावजूद करणी सेना की ओर से इसका जोरदार विरोध जारी है। कालवी ने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और पद्मावत पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
कालवी ने कहा, अगर फिल्म दिखाई जाती है तो उत्तर प्रदेश के सिनेमाघरों में जनता कर्फ्यू लागू होगा। कालवी ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के साथ 20 मिनट की मुलाकात के बाद यह बात कही। उन्होंने फिल्म के संबंध में तकरीबन 40 अलग-अलग बिंदुओं पर आपत्तियां गिनाईं।
राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने इस बीच कहा कि अगर करणी सेना और मेवाड़ राजपरिवार उच्चतम न्यायालय में उसकी याचिका में पक्षकार बन जाता है तो उसकी याचिका मजबूत होगी।
इस मुद्दे पर हरियाणा सरकार ने अलग रुख अपनाते हुए कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के उस आदेश को लागू करेगी, जिसमें फिल्म के प्रदर्शन की अनुमति दे दी गई थी।
मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा, यह अच्छी बात है कि कुछ सिनेमाघर मालिक फिल्म नहीं दिखाना चाहते हैं, लेकिन जो दिखाना चाहते हैं उन्हें पूरी सुरक्षा प्रदान की जाएगी। मुंबई पुलिस ने भी विवादास्पद फिल्म को दिखाने वाले सिनेमाघरों को सुरक्षा मुहैया कराने का वादा किया।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने भी फिल्म को प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं दिए जाने की मांग की है। विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कहा, हिंदू संगठनों को लोकतांत्रिक तरीके से फिल्म के प्रदर्शन के खिलाफ जोरदार विरोध जताने के लिए सड़क पर उतरना चाहिए। यह मुद्दा सिर्फ राजपूतों से संबंधित नहीं है, बल्कि सभी जातियों से संबंधित है जिन्होंने जौहर में प्राणों की आहूति दी। उन्होंने कहा कि विहिप, बजरंग दल और अन्य संगठनों को देश में फिल्म का प्रदर्शन नहीं करने देना चाहिए। उन्होंने मांग की कि केंद्र फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध के लिए जलीकट्टू मामले की तरह अध्यादेश लाए।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा ने राजपूत संगठनों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर ‘पद्मावत’ के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया था। इन संगठनों का आरोप है कि फिल्म में इतिहास को विकृत रूप में प्रस्तुत किया गया है। उच्चतम न्यायालय ने फिल्म के प्रदर्शन के खिलाफ राजस्थान और गुजरात द्वारा जारी अधिसूचना को निरस्त कर दिया था। (भाषा)