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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 30 मई 2020 (18:25 IST)

फेक न्यूज से बचना पत्रकारिता की असली चुनौती : मार्क टली

हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष

फेक न्यूज से बचना पत्रकारिता की असली चुनौती : मार्क टली - Fake news is a big challenge in Journalism : Mark Tully
हिंदी पत्रकारिता दिवस पर आज  फिर पत्रकारिता की चुनौतियों और उसके भविष्य को लेकर चर्चा हो रही है। आज के दौर में पत्रकारिता के समाने सबसे बड़ी चुनौती फेक न्यूज और पेड न्यूज से निपटने की है। 

फेक न्यूज से आम लोगों के साथ देश में पत्रकारिता से स्तंभ माने जाने वाले लोग भी शिकार बने है। दक्षिण एशिया में लंबे समय तक बीबीसी की पहचान रहे और बीबीसी लंदन के पूर्व भारत प्रमुख मार्क टली भी फेक न्यूज से कितना परेशान है, इस बात का खुलासा खुद उन्होंने अपने तीन दशक पुराने मित्र और बीबीसी उत्तर प्रदेश के पूर्व प्रमुख रामदत्त त्रिपाठी से बातचीत में किया।
 
रामदत्त त्रिपाठी ने जब अपने दोस्त मार्क टली से इंटरनेट पर उनके नाम से जारी उन लेखों के बारे में पूछा जिसमें दावा किया गया है कि गया है कि उन्होंने अपने लेखों में मोदी सरकार की तारीफ की है।  इस पर मार्क टली कहते हैं “ये नकली डिस्पैचेज है मेरे नाम में, वह एकदम नकली है और जिसमें बोला सब अच्छा है और उसमें सोनिया के खिलाफ है, मैं वह डिस्पैच कभी नहीं लिखता मैंने कोशिश की थी, मैंने लीगल लेटर भी भेजा था गूगल को, मैंने सब कुछ किया लेकिन सफलता प्राप्त नहीं किया, उसने (गूगल) ने कोई इंटेस्ट नहीं लिया”।
अपने नाम पर फेक न्यूज चलाने के सवाल पर मार्क टली हंसते हुए कहते हैं कि “फेक न्यूज तो बहुत चल रहा है जितने जोर से फेक न्यूज के खिलाफ चल रहा है उतने ही जोर से फेक न्यूज चल रहा है, उसमें कोई रूकावट नहीं हुआ अभी तक। आप जानता हैं कि कितना फेक न्यूज तब्लीगी मरकज के बारे में चला, कितना गंदा नकली खबर चलाता था और अभी तक आपके यूपी में एक विधायक ने बोला ये मुसलमान सब्जी बेचने वाला अपनी सब्जी में  थूकता करता है,और आपके यूपी में ज्यादा फैलता है”।
 
मीडिया से लोगों की बढ़ती नाराजगी के सवाल पर मार्क टली कहते हैं कि “मेरा ख्याल हैं कि  कुछ टीवी चैनल है, कोई है, सब नहीं है, जो बिल्कुल सरकार के हाथ में है और लोग उसमें भरोसा नहीं रख सकते है, लेकिन जैसे अखबार में और जैसा कुछ टीवी निष्पक्ष खबर दे रहा है, इसको कोई लोग बोलता है कि आज की मीडिया की हालत वैसी है जैसा इमरजेंसी में है,वह गलत बात है मैं इमरजेंसी में भारत में उपस्थित था, मुझे मालूम है कि उस जमाने में बहुत सख्त सेंसरशिप था आज कोई सेंसरशिप नहीं है कोई नरम सेंसरशिप है,प्रेशर है”।  
 
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