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Last Modified: मंगलवार, 21 जनवरी 2020 (19:50 IST)

डेढ़ साल में बिके 6128.72 करोड़ के चुनावी बॉण्ड, 140 बॉण्ड प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा

Electoral bond | डेढ़ साल में बिके 6128.72 करोड़ के चुनावी बॉण्ड, 140 बॉण्ड प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा
नई दिल्ली। राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से जारी चुनावी बॉण्ड के जरिए मार्च 2018 से अक्टूबर 2019 के दौरान लोगों ने राजनीतिक दलों को 6,128.72 करोड़ रुपए के दिए जिनमें से 6,108.47 करोड़ रुपए के बॉण्ड निर्धारित समय में भुनाए गए।
 
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) को सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि 5,624 (करीब 46 प्रतिशत) बॉण्ड 1-1 करोड़ रुपए मूल्य के हैं।
चुनावी बॉण्ड जारी करने के लिए अधिकृत देश के सबसे बड़े सरकारी वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने इस संबंध में जानकारी दी है। इसमें मार्च 2018 से लेकर अक्टूबर 2019 के दौरान कुल 12 चरणों में जारी बॉण्ड के बारे में जानकारी दी गई है।
 
इस दौरान 6,128.72 करोड़ के 12,313 बॉण्ड जारी किए गए जिसमें से राजनीतिक दल निर्धारित समयावधि में 6,108.47 करोड़ रुपए मूल्य के 12,173 बॉण्ड को भुनाने में सफल रहे। कुल 20.25 करोड़ रुपए मूल्य के 140 बॉण्ड को प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कराया गया।
 
पिछले वर्ष संपन्न आम चुनाव के दौरान मार्च 2019 में 8वें और 9वें चरण में मूल्य के आधार पर आधे से अधिक 59.10 प्रतिशत बॉण्ड की बिक्री हुई। चुनावी बॉण्ड खरीदने के मामले में मुंबई कुल 1,879.96 करोड़ रुपए के 2,899 बॉण्ड के साथ अव्वल रहा जबकि राजधानी दिल्ली कुल 918.58 करोड़ रुपए मूल्य के 1,630 बॉण्ड के साथ तीसरे पायदान पर रही। कुल 1,440.33 करोड़ रुपए के 3,478 बॉण्ड के साथ कोलकाता दूसरे और 846.37 करोड़ रुपए के 1,603 बॉण्ड के साथ हैदराबाद चौथे स्थान पर रहा।
 
मार्च 2018 से अक्टूबर 2019 के दौरान कुल 4,917.51 करोड़ रुपए के 8,903 बॉण्ड दिल्ली में भुनाए गए जबकि इसको खरीदने के मामले में मुंबई अव्वल रहा है। बॉण्ड भुनाने के मामले में हैदराबाद दूसरे और भुवनेश्वर तीसरे स्थान पर रहा है। इस मामले में कोलकाता 4थे और मुंबई 5वें स्थान पर रहा। इस अवधि में बिके कुल 12,313 बॉण्ड में से 5,624 1-1 करोड़ रुपए मूल्य के थे जबकि 4,877 बॉण्ड 10-10 लाख रुपए मूल्य के थे।
 
मोदी सरकार चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से चुनावी बॉण्ड लेकर आई थी। इसके साथ ही राजनीतिक दलों को 2,000 रुपए से अधिक के नकद चंदे को प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसकी बिक्री के भारतीय स्टेट बैंक के चुनिंदा शाखाओं को अधिकृत किया गया।
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