डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम का जेल से बाहर आना संयोग या चुनावी रणनीति
Gurmeet Ram Rahim gets parole: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana assembly elections 2024) से ठीक पहले एक बार फिर 20 दिन के लिए सुनारिया जेल से बाहर आ गया है। हालांकि लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठ रहा है कि राम रहीम को मिली पैरोल एक संयोग है या फिर चुनावी रणनीति का हिस्सा। इस साल यह तीसरा मौका है जब राम रहीम जेल से बाहर आया है। इससे पहले वह जनवरी और अगस्त में भी जेल की चारदीवारी से बाहर आया था। पैरोल के दौरान बाबा यूपी में बागपत जिले के बरनावा डेरा आश्रम में रहेगा।
हालांकि राम रहीम को जब भी पैरोल या फरलो मिलती है तो उस पर सवाल भी उठते हैं। लोगों का मानना है कि आखिर चुनाव से ठीक पहले राम रहीम को पैरोल और फरलो कैसे मिल जाती है? दूसरी ओर, कई ऐसे कैदी भी हैं जिन्हें आसानी से न तो पैरोल मिलती है और न ही फरलो। राम रहीम 7 साल में दर्जनभर से ज्यादा बार जेल से बाहर आ चुका है। राम रहीम बलात्कार और हत्या के मामले में जेल में बंद है।
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2024 में तीन बार : इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले 20 जनवरी को राम रहीम 50 दिन के लिए जेल से बाहर आया था। हालांकि उसके बाहर रहने का सत्तारूढ़ दल को न तो पंजाब में लाभ मिला और न ही हरियाणा में। हरियाणा में तो भाजपा को लोकसभा चुनाव में तगड़ा नुकसान हुआ था। पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले भी फरवरी 2022 में बाबा को जेल से बाहर लाया गया था, लेकिन इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दूसरे सभी दलों का सफाया कर दिया और राज्य में सरकार बनाई।
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हरियाणा में सबसे ज्यादा प्रभाव : राम रहीम का हरियाणा में सबसे ज्यादा प्रभाव है। इसका मुख्यालय भी हरियाणा के सिरसा में ही है। कहा जाता है कि बाबा का राज्य की करीब 30 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है। डेरा सच्चा सौदा के राज्य के 6 जिलों में काफी अनुयायी हैं। इन जिलों में फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, करनाल और हिसार प्रमुख हैं।
जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राम रहीम का जेल से बाहर महज एक संयोग नहीं है। क्योंकि पहले भी चुनाव से पहले ही राम रहीम को पैरोल या फरलो मिलती रही है। हालांकि भाजपा इसे संयोग मानती है, लेकिन संयोग एकाध बार तो हो सकता है, बार-बार नहीं। राजस्थान चुनाव, हरियाणा उपचुनाव, हरियाणा पंचायत चुनाव और लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बाबा को जेल से मिलने वाली रिहाई महज एक संयोग नहीं हो सकती।
यह देखना जरूर दिलचस्प होगा कि बागपत के बरनावा आश्रम में बैठकर बाबा हरियाणा विधानसभा चुनाव में कितना असर दिखाएगा। या फिर लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी 'बाबागिरी' की हवा निकल जाएगी। वैसे भी हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति तुलनात्मक रूप से मजबूत मानी जा रही है। यदि हरियाणा चुनाव में भाजपा सत्ता में वापसी करती है तो बाबा के लिए आने वाले दिन भी अच्छे ही रहेंगे अन्यथा उनकी भी मुश्किल बढ़ सकती है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala